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Case of death in custody: हिरासत में मौत के मामले में हाईकोर्ट ने पुलिस पर लगाया 20 लाख का जुर्माना, जांच सीबीआई को सौंपी

• LAST UPDATED : November 30, 2022

Case of death in custody: डबरा कस्बे में तीन साल पहले रहस्यमय परिस्थितियों में पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति की मौत गो गई थी। जिसके तीन साल बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने पांच पुलिस कर्मियों और एक होमगार्ड जवान पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। साथ ही जज जीएस अहलूवालिया की सिंगल बेंच ने यह भी आदेश दिया कि केस सीबीआई को सौंपा जाए।

Case of death in custody: 2019 में किया था गिरफ्तार

बेलगड़ा गांव के निवासी सुरेश रावत को स्थानीय पुलिस ने ग्वालियर में 10 अगस्त, 2019 को एक अन्य व्यक्ति पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के कुछ घंटों बाद बेलगड़ा पुलिस स्टेशन में उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। जिसके बाद पुलिस ने दावा किया था, कि सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं होने पर बिजली कटौती के दौरान 10 मिनट के भीतर कथित तौर पर आत्महत्या करने से व्यक्ति की मौत हो गई।लेकीन परिवार ने आरोप लगाया कि उसे पुलिस कर्मियों ने पीटा था। जिसके चलते बाद में, पांच पुलिसकर्मियों पर हत्या का आरोप लगाया गया था।

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Case of death in custody: हाईकोर्ट ने दिया फैसला

न्यायाधीश अहलूवालिया की एकल पीठ ने सोमवार को कहा, “मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता को देखते हुए। इस न्यायालय का मानना ​​है कि जिला पुलिस ग्वालियर और जांच अधिकारियों ने इस अदालत का विश्वास खो दिया है। क्योंकि यह सही है।” पहले दिन वे दोषी पुलिस कर्मियों को बचाने के एकमात्र इरादे से काम कर रहे थे, इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णयों के आलोक में, यह स्पष्ट है कि ग्वालियर पुलिस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करने में बुरी तरह विफल रही है।

मृतक सुरेश

अदालत ने कहा की आईपीसी की धारा 302,306,342,34 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत अपराध के लिए पुलिस स्टेशन बेलगड़ा, ग्वालियर में दर्ज मामले की जांच एतदद्वारा सीबीआई को स्थानांतरित की जाती है। मामले में शामिल सभी (पांच) पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जाना चाहिए और उनका मुख्यालय ग्वालियर से 700 किमी दूर रखा जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि सुनवाई पूरी होने तक उन्हें निलंबित रखा जाए।

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पुलिस ने की थी 20,000 रुपय की मांग

मृतक के बेटे ने बताया कि उसके पिता और गांव के खेमू शाक्य के बीच विवाद हुआ था। जिसके चलते बेलगड़ा पुलिस ने रावत के खिलाफ मामला दर्ज किया लेकिन उन्होंने रावत की शिकायत दर्ज नहीं की। पुलिस ने कथित तौर पर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए 20,000 रुपय की मांग की थी।

जिसके बाद पुलिस ने सुरेश को हिरासत में लियाऔर पुलिस स्टेशन में उनकी पिटाई की। पुलिसकर्मियों ने परिजनों को अंदर जाने से रोक दिया। साथ ही उन्होंनने सुरेश के बेहोशी की हालत में बाहर निकाला। उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उनकी जांच की और उन्हें मृत घोषित कर दिया। जबकी नगर निरीक्षक विजय सिंह ने दावा किया सुरेश की मौत आत्महत्या से हुई है। उसने लॉक-अप में आत्महत्या के दो प्रयास किए।

Case of death in custody: पुलिस कर्मियों से वसूली

एएसआइ विजय बहादुर सिंह से 10 लाख, निप्रधान आरक्षक अरुण मिश्रा से पांच लाख, हवलदार नीरज प्रजापति से दो लाख, आरक्षक धर्मेंद्र, विजय कुशवाह व होमगार्ड एहशान खान से एक-एक लाख रुपये

एक माह में पालन रिपोर्ट पेश करें

कोर्ट ने सोमवार को एसएसपी अमित सांघी को केस डायरी, सीसीटीवी फुटेज, पोस्टमार्टम रिपोर्ट दी। यह रिपोर्ट को एसएसपी सीबीआइ को देंगे। एक माह में पालन रिपोर्ट हाई कोर्ट के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार के यहां पेश करनी होगी।

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