MP Politics Year Ender 2022 :आज 2022 का आखिरी दिन है। कल नए साल 2023 की शुरुआत होने जा रही है। हम सब कल नए साल का स्वागत करेंगे, लेकिन 2022 को अलविदा कहते हुए आज हम आपको मध्य प्रदेश की राजनीतिक घटनाओं के बारे में बताते हैं। जिसे आप आने वाले समय में याद रखेंगे। मध्य प्रदेश में इस साल कई राजनीतिक घटनाएं हुईं, आइए एक नजर डालते हैं, मध्प्रदेश की कुछ खास राजनीतिक घटनाओं पर जिन्होंने इस साल सुर्खियां बटोरीं।
MP Politics Year Ender 2022 की राजनीतिक घटनाएं
- मध्य प्रदेश में इस साल निकाय और पंचायतों के चुनाव हुए। जिसमें कांग्रेस- बीजेपी अपना दम दिखाते हुए नजर आई। दोनों ने जीत के दावे किए। जिसमें बीजेपी ने प्रदेश की 16 में से 9 सीटों पर कब्जा जमाया। वहीं कांग्रेस के हिस्से में 5 सीटें आई थी। वहीं आम आदमी पार्टी की इसी साल नगर निगम चुनाव के जरिए धमाकेदार एंट्री हुई।जिसके चलेत आप ने सिंगरौली में महापौर की सीट जीतकर खाता खोला। वहीं एक में निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की। दूसरी तरफ नगर पालिकाओं में 76 में 57 पर भाजपा ने और कांग्रेस ने 18 पर कब्जा जमाया। जबकि निर्दलीय के खाते में एक सीट रही। वहीं पंचायतों में ज्यादातर जगहों में बीजेपी का कब्जा रहा।
- इस साल मध्यप्रदेश में लव जिहाद के मामलों की संख्या बढ़ी। जिसे देखते हुए धर्म स्वातंत्र कानून बनाया गया। जिसके चलते जबलपुर में बिशप पीसी सिंह पर धर्मांतरण करने के गंभीर आरोप लगे। दमोह में बच्चों,बुजुर्गों के जबरन धर्मांतरण कराए गए। कांग्रेस ने इन मुद्दों पर बीजेपी को घेरा, तो खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मोर्चा संभाला। दावा किया कि मध्यप्रदेश में लव जिहाद और धर्मांतरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- मध्य प्रदेश की सियासत की बात करे तो केंद्र बिंदु में गाय माता को लेकर भी राजनीति गर्म होती नजर आई। राजधानी भोपाल के बैरसिया और प्रदेश की कई जगह गौशालाओं के पास में गायों के कंकाल मिले। इसे लेकर कांग्रेस और बीजेपी एक बार फिर आमने- सामने दिखी।
- मध्यप्रदेश में कई नेताओं के बोल बिगड़ते हुए नजर आए। जिसमें ताजा मामला कांग्रेस नेता राजा पटैरिया के विवादित बयान का है। जिसमें उन्होंने पीएम मोदी की हत्या करने का बयान दिया था। जिसके चलते अब राजा पटैरिया अपना नया साल जेल मे ही बनाने वाले हैं।
- शराब बंदी को लेकर उमा भारती ने मघ्यप्रदेेश की राजनीति में मोर्चा खोल दिया। जिसके चलते उन्होंने शराब के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया, कई तरीके की बयानबाजी उनकी तरफ से सामने आयी। सबसे ज्यादा चर्चा शराब दुकान में पत्थर मारने की घटना को लेकर हुई। साथ ही रायसेन में शिवमंदिर के ताले खुलवाने के लिए उन्होंने उपवास भी रखा।
- इस साल मामा शिवराज बुल्डोजर मामा के तौर पर नजर आए। उन्होंने अपराधियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया। जिसके चलते कई दंगाइयों के घर पर बुलडोजर चले, जिसके चलते अपराधियों को सजा मिली।
- राष्ट्रपति चुनाव में मध्य प्रदेश के 19 विधायकों की क्रॉस वोटिंग का मुद्दा भी गरमाया। इस साल सियासी मिर्ची बाबा का कुकर्म भी सामने आया। जिसके बाद उन्हें जेल में भेजा गया।
- इसी साल कांग्रेस में उथल-पुथल देखने के मिली। कांग्रेस के कई नेताओं ने बीजेपी में एंट्री ले ली। जिसके चलते कमलनाथ के करीबी नरेंद्र सलूजा बीजेपी में शामिल हो गए। बकायदा शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें खुद सदस्यता दिलाई।इसी के साथ राजस्थान में कांग्रेस के चिंतन शिविर में तय हुआ था, की एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला पार्टी में चलेगा। तो सबसे पहले कमलनाथ ने इस फॉर्मूले को अपनाया। जिसके चलते उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दिया और डॉ गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। फिर नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद गोविंद सिंह ने बीजेपी सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। लेकिन कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव असफल रहा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कर्जमाफी से लेकर 15 महीनों के कांग्रेस की सरकार की बदहाली पर जोरदार भाषण दिया।
- मध्य प्रदेश में 27 फीसदी OBC आरक्षण का मुद्दा भी सियासी पारा बढाते हुए नजर आया। इस कारण कई भर्तियों और नियुक्तियां अटकी। सरकार भी इसे लेकर अदालतों में भटकती रही। अफसोस जिस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया।
- राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्य प्रदेश में 12 दिनों तक रही। जिसके चलते कई मशहूर लोगों का उन्हे साथ भी मिला। उनकी कई तस्वीरे भी सामने आई। जिसमें छोटे बच्चों के जमा पूंजी के साथ यात्रा में शामिल होने की बात पर सकारात्म तस्वीरें दिखीं।साथ ही उन्हें साइकिल चलाते भी देखा गया तो कभी यात्रा के दौरान पाकिस्तान समर्थक नारों को लेकर विवाद भी हुआ।
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