मध्यप्रदेश: मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए राज्य सरकार ने दो पुलिस कर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी। शुक्रवार को मुख्यमंत्री की सहमति के बाद अनिल कुमार मिश्रा (डीडी 1995) और कृष्ण कुमार वर्मा (निरीक्षक 2015 ) को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई। समीक्षा समिति द्वारा 50 वर्ष की आयु या 20 वर्ष की सेवा पूर्ण करने के बाद राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के संबंध में निर्धारित मापदंडों के आधार पर मूल्यांकन करते हुए सेवानिवृत्ति दी गई
मुख्यमंत्री ने प्रदान की सहमति
दोनो पुलिस कर्मियों के विरुद्ध घोर लापरवाही, अनुशासनहीनता, कदाचरण, नियम विरुद्ध कार्यवाही करना इत्यादि आरोप लगे थे। जिस पर समिति ने निर्णय लिया और मुख्यमंत्री ने सहमति प्रदान की। इसके बाद अनिल कुमार मिश्रा डीडी (1995) के विरुद्ध इंदौर पुलिस ऑफिसर मैस में संदिग्ध रूप से रुककर कदाचरण तथा संदिग्ध आचरण का परिचय, और भारतीय दंड विधान में अन्य प्रकरणों में अनावश्यक रूप से विधि विरुद्ध हस्तक्षेप कर संदिग्ध आचरण और कर्तव्य विमुक्ता का परिचय दिया था। मिश्रा के विरुद्ध भोपाल, गाजियाबाद और जयपुर में भी आपराधिक मामले दर्ज हैं
इस वजह से दोनों पुलिसकर्मियों को दिया गया अनिवार्य सेवानिवृत्ति
कृष्ण कुमार वर्मा के विरुद्ध भी थाना सौसर में अवैध रेत उत्खनन की रोकथाम हेतु और ओवर लोडिंग वाहन व उत्खनन करने वालों के विरुद्ध बार-बार निर्देश किए जाने पर भी कोई कार्यवाही ना किए जाना, अवैध गतिविधियों में लिप्त होना, विभाग की छवि को धूमिल करना और अनेकों बार संदिग्ध आचरण का परिचय देना पाया गया। कृष्ण कुमार वर्मा का भी सेवा काल का मूल्यांकन औसत पाया गया एवं वर्मा की संनिष्ठा संदिग्ध पाई गई और इन्हे अनिवार्य सेवा निवृत्ति दी गई।