मध्यप्रदेश: कोदो की रोटी का सेवन करना एक परिवार को भारी पड़ गया, कोदो की रोटी का सेवन के बाद परिवार के जान पर बन आयी। परिवार के सारे सदसय कोदो की रोटी खाकर बिमार हो गये। जिसके बाद उन्हे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया। मामला उचेहरा विकासखंड के पिथौराबाद गांव का है।
रात में परिवार के सदस्यों को होने लगी उल्टियां
उचेहरा विकासखंड के पिथौराबाद गांव में रहने वाले साहू परिवार के सदस्यों ने शुक्रवार की शाम को घर में कोदो की रोटी बनाकर उसका सेवन किया। रात में परिवार के सदस्यों को उल्टियां होने लगी। ऐसे में उन्हे समीप ही उचेहरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया। जहां पर परिवार के 11 सदस्यों बसंतलाल साहू 65 वर्ष सावित्री 60 वर्ष,गणेश साहू 40 वर्ष,रश्मि साहू 35 वर्ष प्रातुल 17 वर्ष,प्रिंस 15 वर्ष ,काजल 18वर्ष मनदीप 32 वर्ष प्रीति 28 वर्ष उर्मिला साहू 45 वर्ष, प्रीति 15 वर्ष इलाज चल रहा है।
आनन फानन में करवाया गया अस्पताल में भर्ती
जानकारी के मुताबिक पिथौराबाद के किराना व्यापारी बसंतलाल साहू के परिवार में शुक्रवार की रात कोदों की रोटी बनाई गई थी। भोजन करने के बाद परिवार के सदस्य सोने के लिए चले गए। इस दौरान देर रात को ही सभी को उल्टियां और चक्कर आना और शुरू हो गया। तबीयत बिगड़ने लगी। ऐसे में आनन फानन मे उन्हे उचेहरा अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां पर उपचार चल रहा है।
क्या कहते है जानकर
मामले में गांव से जुड़े जानकारों ने जो जानकारी दी है उसका कोई वैज्ञानिक पक्ष नहीं है यह परंपरागत ज्ञान के आधार पर बताया की कोदो को खाने के लिए काटने के करीब दो से तीन महीने में खाना चाहिए और दोगुनी मात्रा में दही या माठे को मिलाकर खाने की परंपरा रही है। जिससे उसे आसानी से पचाया का सकता है। पर लोग उसे सीधे ही उसके आटा की रोटी बनाकर खा लेते है इससे उल्टी या मिचली आने लगती है। हालाकि कुछ जानकारों ने बताया कि इसमें कुछ नशीली तरल बनाने वाली किस्म भी होती है।