इंदौर: इंदौर मेें एक सेवानिवृत कर्मचारी द्वारा लगाई गई याचिका में हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि यदि सरकार की गलती से कर्मचारी को सेवा के दौरान ज्यादा भुगतान हो गया, तो रिटायरमेंट के बाद उनसे पैसा नहीं वसूल सकते।
इंदौर हाईकोर्ट ने एक याचिका का निराकरण करते हुए एक सेवानिवृत कर्मचारी के पक्ष में फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि शासन की गलती से किसी कर्मचारी को अधिक भुगतान हो गया है तो उसकी वसूली सेवानिवृत्ति के बाद नहीं की जा सकती है।
ओमप्रकाश व्यास की ग्रेजुएटी में से काट लिए थे दो लाख रुपये
सुदामा नगर निवासी ओमप्रकाश व्यास वर्ष 1988 में कलेक्टर कार्यालय में ग्रेड 3 कर्मचारी के रूप में पदस्थ थे। शासन की गलती से नियुक्ति के वक्त व्यास को अधिक वेतनमान दे दिया गया। वर्ष 2018 में व्यास सेवानिवृत्त हुए तब शासन ने उनकी ग्रेजुएटी में से दो लाख रुपये काट लिए और तर्क यह दिया कि नियुक्ति के समय वेतनमान का आंकलन गलत कर लिया गया था। व्यास की तीन तनख्वाह में से भी 90 हजार रुपये काट लिए गए। शासन की इस कार्रवाई से व्यास ने आपति्त ली और कोर्ट में याचिका लगा दी।
गलत वेतनमान शासन की गलती
याचिका में तर्क रखा गया कि गलत वेतनमान शासन की गलती से लगा था। याचिकाकर्ता ने कभी इसके लिए कोई पत्राचार नहीं किया न ही कभी इसकी मांग की। सेेवानिवृति के समय राशि बगैर बताए काट ली गई। याचिकाकर्ता की ओर से रखे तर्कों से सहमत होने के बाद कोर्ट ने याचिका स्वीकार की। कोर्ट ने शासन को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता से वसूली गई रकम 60 दिवस में वापस लौटाई जाए।