Scindia Ramesh Twitter War: मध्यप्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच गद्दार की सियासत तेज हो गई है। जिसके चलतेपहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच सोशल मीडिया पर ट्वीटर वार शुरू हो गया है। जिसमें अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भी एंट्री हो गई है। जिसके बाद से यह विवाद अब राजघरानों तक पहुंच चुका है।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा कि गुलाम नबी आजाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में रहकर सारे पद पाकर सत्ता का सुख भोगकर कांग्रेस की आलोचना कर रहे हैं।
जयराम रमेश ने अपने एक ट्विट में कहा, इतिहास की कोई किताब उठा लीजिए। इतिहास की कोई किताब उठा लीजिये। 1857 में रानी झांसी के साथ गद्दारी के मुद्दे पर सभी इतिहासकार एकमत हैं। आपके नये भगवान सावरकर ने भी अपनी किताब ‘1857 का स्वातंत्र समर’ में रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे और अन्य लोगों के साथ सिंधिया की गद्दारी का जिक्र किया है। इतिहास आप पढ़िये।
रमेश ने ट्वीट किया, क्या वह झांसी की रानी पर सुभद्रा कुमारी चौहान की अमर कविता भूल गए हैं?
अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह ने सुनी थी कहानी,
खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
इस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की किताब “रिलप्सेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री’ का जिक्र करते हुए जवाब दिया, कविताएं कम और इतिहास ज्यादा पढ़ें। इस प्रकार उन्होंने (मराठों ने) दिल्ली साम्राज्य को जीता मराठा ब्रिटिश वर्चस्व को चुनौती देने के लिए बने रहे, लेकिन मराठा शक्ति ग्वालियर के महादजी सिंधिया की मृत्यु के बाद टुकड़े-टुकड़े हो गई।
जिसके बाद जयराम रमेश ने मप्र कांग्रेस के आधिकारिक से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक वीडियो किलप साझा करते हुए सिंधिया पर निशाना साधा। रमेश ने तंज करते हुए लिखा, मामा जी गलती से सब बीत गए। वीडियो किलप में शिवराज सिंह चौहान कहते दिख रहे हैं, सिंधिया परिवार की मदारी के कारण 1857 का स्वतंत्रता संग्राम सफल नहीं हुआ।
इस पर पलटवार करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट में लिखा, कभी 1857 के वीर शहीद तात्या टोपे के वंशज पराग टोपे की खुद को लिखी किताब ‘ऑपरेशन रेड लोटस पढ़िए ज्ञात हो जाएगा कि किस प्रकार हम मराठे- सिंधिया, पेशवा और झांसी के नेवालकर अंग्रेजों के विरुद्ध एक साथ थे। मराठा आज भी एक हैं। कृपया यह “विभाजनकारी” राजनीति बंद करें।
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