India News (इंडिया न्यूज़), Gi tag Mp: किसी भी जगह को अगर हमें जानना हो तो हमें उस जगह का इतिहास और उस जगह का खास पता होना बहुत जरुरी है। खास यानी वो चीजें जो उस जगह की पहचान हो। खास जानने के लिए सरकार द्वारा दिए जाने वाला जी.आई.टैग के बारे में पता कर सकते हैं।
मध्यप्रदेश में अबतक कई उत्पादों को जी.आई. टैग दिया जा चुका है। मध्यप्रदेश को इन उत्पादों के लिए पुरी देश-दुनिया में जाना जाता है। आज हमभी जानते हैं इन उत्पादों के बारे में और पता करते हैं कि क्यों खास है। साथ ही जानेंगे कि जी.आई. टैग क्या है और क्युं जरुरी है।
अभी हाल में ही मध्यप्रदेश के रीवा जीले के सुंदरजा आम को जी.आई टैग मिला है। सुंदरजा आम एक विशेष प्रकार का आम है, जो केवल रीवा में ही पाया जाता है। साथ ही इसका स्वाद और सुगंध बाकी सारे आमों से बहुत ही बेहतर माना जाता है। साथ ही इस आम में कम चीनी और अधिक विटामिन ई पाया जाता है। जिसके कारण इस काम का ऑडर देश-दुनिया के कोने-कोने से आता है।
इसके अलावा शरबती गेंहू को भी जी.आई टैग दिया गया है। इस खास गेंहू की खेती मध्यप्रदेश के सीहोर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद , हरदा, अशोकनगर, भोपाल और मालवा में की जाती है। इस गेंहू में फाइबर, विटामिन बी, ई और 2 प्रतिशत अधिक प्रोटीन पाई जाती है। इसे सेहत के लिहाजा से काफी लाभदायाक माना जाता है।
मुरैना की खस्ती करारी गजक को भी जी.आई टैग दिया गया है। इस गज़क को गुड़, चीनी और तिल के मिश्रण से बनाया जाता है। आपको बता दें कि हाल में आयोजित की गई फूड फेस्टिवल में मुरैना की गजक को काफी पसंद किया गया था। यहां इटली, दुबई, ब्रिटेन से आए लोगों ने इसकी खुब तारीफ की थी।
मध्यप्रदेश में लगभग 25 प्रतिशत जनजातियां हैं। जिसमें लगभग 50 प्रकार की जनजातियां शामिल है। उन जनजातियों में एक गोंड जनजाति भी पाई जाती हैं। इन जनजातियों द्वारा बनाई जाने वाली गोंड पेंटिंग को जी.आई टैग दिया गया है। इस पेंटिंग में इंसान और प्रकृति का जुंड़ाव साथ ही गोंड जनजाति के लोगों के आम जीवन को दिखाया जाता है।
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश की लोहशिल्प भी बेहद प्रसिद्ध है। लोहे के धातु से बनाई जाने वाले शिल्प को लोहशिल्प कहा जाता है। इस जनजातीय परम्परा से बनाया जाता है। इसमें लोहे को गरम कर के उसे पीट- पीटकर कर महिलाओं के लिए गहने तैयार किए जाते हैं। इसे दो समुदाय के जनजाती मिलकर तैयर करते हैं। जिसमें पथरिया अगरिया और खुटिया अगरिया प्रजाति शामिल हैं। इसके अलावा मध्यप्रदेश के पत्थरशिल्प को भी जी.आई टैग दिया गया है। साथ ही प्रदेश की हैंडलूम साड़ी और कला बटीक प्रिंट को भी जी.आई टैग प्रदान की गई है।
जी.आई टैग को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में एक ट्रेडमार्क की तरह देखा जाता है। यह टैग कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता और विशिष्टता का दर्शाता है जो कि एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में ही बनाई या फीर उगाई जाती है। एक जी.आई टैग केवल 10 सालों के लिए मान्य होता है। जी.आई टैग दिए गए उत्पादों को विशेष बताया जाता है। इसे कोई कॉपी नहीं कर सकता है।
Also Read: मध्यप्रदेश में है देश का पहला पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन, सारी सुविधाओं से है लैस