India News (इंडिया न्यूज़), Digvijaya Singh: मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब सरकार को ही चुनौती दी गई है तो कोई भी विधेयक पारित नहीं किया जाना चाहिए, ऐसी स्थिति में ठोस प्रस्ताव पारित नहीं किया जाना चाहिए। यह न केवल अपरंपरागत है बल्कि अवैध भी है। बता दें राष्ट्र की राजधानी दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से संबंधित संशोधन विधेयक को आज लोकसभा में पेश किया गया। यह वही बिल है, जिससे जुड़े अध्यादेश पर केजरीवाल सरकार काफी दिनों से विरोध दर्ज कराती आई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देशभर में विपक्षी दलों से मुलाकात कर इसी बिल के खिलाफ समर्थन देने की मांग भी की थी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जीएनसीटी (संशोधन) विधेयक 2023 को लेकर कहा था कि संविधान ने सदन को दिल्ली राज्य के संबंध में कोई भी कानून पारित करने की शक्ति दी है। गौरतलब है 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर फैसला देकर यह साफ कर दिया कि दिल्ली की नौकरशाही पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल है और अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर भी अधिकार उसी का है। प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण और अधिकार से जुड़े मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, दिल्ली की पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर पर केंद्र का अधिकार है, लेकिन बाकी सभी मामलों पर चुनी हुई सरकार का ही अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया था कि पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी दूसरे मसलों पर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी होगी।
ऐसे में केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई , जिसके तहत अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल को वापस मिल गया। अब इस अध्यादेश को लेकर हंगामा मचा हुआ है। दिल्ली की केजरिवाल सरकार संसद में इसो कानून बनने से बाचाने के लिए विपक्ष की सहायता की मांग कर रही है।
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