India News (इंडिया न्यूज़) bio fuel, इंदौर: जब कभी हम भारत के सबसे साफ सुथरे शहर की बात करते है। तो सबसे पहले हमें इंदौर का नाम याद आता है। वैसे ही जब हम भारत के सबसे ज्यादा जैव ईंधन के उपयोग की बात करते है। तब भी इंदौर का ही ख्याल आता है। क्योंकि इंदौर देश का एकमात्र शहर जो प्रतिदिन है सबसे ज्यादा जैव ईंधन के उपयोग करता है।
दरअसल, इंदौर अपने कचरे से गैस बनाता है और उससे ही सिटी बसें चलाता है। इसके लिए एक विशाल बायोगैस प्लांट बनाया गया है, उसे देखने और समझने देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं।
बता दें कि ट्रेंचिंग ग्राउंड पर लगाए गए इस सीएनजी प्लांट से वर्तमान में रोजाना 17 टन सीएनजी तैयार हो रही है। इससे करीब डेढ़ सौ सिटी बसें संचालित की जा रही हैं। इस प्लांट पर सब्जी मंडी से निकलने वाले गीले कचरे सहित अन्य तरह के गीले कचरे को सड़ाकर गैस बनाई जाती है। साथ ही किसानों से गोबर लेकर उसका भी इस्तेमाल किया जाता है। इंदौर में 50 इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन हैं।
पेट्रोल और डीजल की खपत कम करने में ग्रीन एनर्जी काफी उपयोगी साबित हो रही है। आने वाले समय में सीएनजी से करीब 400 बसें चलाने का भी प्रयास किया जा रहा है। इंदौर में प्रतिदिन करीब 12 लाख रुपये की बायो सीएनजी की बिक्री होती है। साथ ही डेढ़ लाख रुपये का खाद बेचा जाता है।
करीब चार करोड़ रुपये हर महीने की सेल प्लांट से बायो सीएनजी और खाद की होती है। जिसके चलते यह जैविक खाद की कुछ मात्रा किसानों को सीधे तौर पर बेच दी जाती है और बाकी फर्टिलाइजर कंपनियों को बेचा दिया जाता है। बता दें कि 70 प्रतिशत खाद नेशनल फर्टिलाइजट, कृभको और राष्ट्रीय कैमिकल फर्टिलाइजर को चार रुपये किलो में बेची जाती है। वहीं बची हुई 30 प्रतिक्षत खाद किसानों को दो रुपये किलो में दी जाती है।
जैव ईंधन वे ईंधन हैं जो बायोमास से प्राप्त होते हैं। इसे कार्बनिक पदार्थ भी कहा जाता है। इसमें सभी पौधे, लकड़ी और पशु अपशिष्ट शामिल हैं। इस प्रकार के ईंधन को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत माना जाता है क्योंकि वे अपने पूरे जीवन चक्र में स्वाभाविक रूप से खुद को नवीनीकृत करते हैं। यह इसे कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन का एक आकर्षक विकल्प बनाता है।
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