India News (इंडिया न्यूज), Ujjain Mahakal, उज्जैन: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में नागपंचमी का पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाया जा रहा है। महाकालेश्वर मंदिर में स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर के पट परंपरा अनुसार रात्रि 12 बजे खोल दिए गए। भगवान नागचंद्रेश्वर के पूजन के बाद मंदिर में रात से ही श्रद्धालु दर्शन कर रहे हे। दर्शन का यह सिलसिला लगातार 24 घंटे तक चलता रहेगा। नागचंद्रेश्वर के साथ ही बाबा महाकाल के दर्शन को भी भक्तो भीड़ उमड़ रही हे।
विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन की महत्ता हे। यहाँ महाकाल मंदिर के शीर्ष पर भगवान नागचंद्रेश्वर का अति प्राचीन मंदिर हे। इस मंदिर में नाग पर विराजत शिव पार्वती की अति दुर्लब मूर्ति हे। मान्यता हे की मंदिर में नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा के दर्शन और पूजन से शिव पार्वती दोनों ही प्रसन्न होते हे साथ ही सर्प भय से भी मुक्ति मिलती हे।
नागपंचमी पर नाग को दूध पिलाने की भी परंपरा हे इसलिए श्रद्धालु यहाँ नाग की प्रतिमा पर दूध चढ़ाते है। नागचंद्रेश्वर मन्दिर में स्थित मूर्ति 11 वीं शताब्दी के परमार काल की है। नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थापित प्रतिमा में शेषनाग की सैय्या पर भगवान शिव तथा पार्वती के साथ भगवान गणेश और कार्तिक भी विराजित है। बताया जाता है की यह प्रतिमा नेपाल से लाई गई थी।
भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए प्रशासन ने कुछ इंतजाम किये हे। सुरक्षा के साथ ही श्रधालुओं की सुविधा के लिए बेरीकेट लगाए गए है। ताकि दर्शन आसानी से हो सके। भगवान महाकाल के दरबार में स्थित नागचंद्रेश्वर का मंदिर वर्ष में केवल एक बार ही खुलता हे। नागपंचमी पर खुलने वाले इस मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालु एक दिन पहले से ही कतार में लग जाते हे।
मान्यता है प्रतिमा रूप में विराजमान भगवान नागचंद्रेश्वर एकांतवास में ध्यान के लिए चले जाते हैं और सिर्फ नागपंचमी को ही दर्शन देते हैं. मंदिर के पुजारी ने बताया कि पहले नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन साल भर हुआ करते थे, लेकिन हादसों की आशंका को देखते हुए अब साल में 1 ही दिन खोला जाता है।
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