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खंडवा पहला जिला जहां पानी, कोयला के बाद अब सोलर से बनेगी बिजली

• LAST UPDATED : September 12, 2023

India News (इंडिया न्यूज़), Floating Solar Power Plant in MP, खंडवा: खंडवा देश और प्रदेश का एकमात्र जिला है।जहां पानी और कोयला तीन स्रोतों से बिजली बनाई जाती है और अब सौर ऊर्जा से बिजली पैदा की जाएगी। जिले के ओंकारेश्वर में दुनिया का सबसे बड़ा पानी पर तैरने वाला सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने पर काम चल रहा है।

600 मेगावाट उत्पादन वाले सौर ऊर्जा संयंत्र का निर्माण दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहला निर्माण चरण शुरू हो गया है। पहले चरण में 300 मेगावाट की इकाइयां लगाई जाएंगी।

925 एकड़ में सालभर होगी सिंचाई

ओंकारेश्वर बांध के बैकवाटर के जिस 12 वर्ग किमी पानी की सतह पर सोलर प्लेट लगेंगी। उस एरिया में 14.4 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी साल भर में वाष्पित होता है। नवकरणीय विभाग के अनुसार 70 प्रतिशत पानी का वाष्पन सोलर प्लेटों से रुक जाता है। इस हिसाब से 10.08 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का वाष्पन रुकेगा। एक मिलियन क्यूबिक मीटर पानी में करीब 925 एकड़ में सालभर सिंचाई होती है। इस तरह करीब 93 हजार एकड़ से ज्यादा में सिंचाई हो सकती है।

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और नर्मदा हाइड्रोइलेक्ट्रिक डेवलपमेंट कारपोरेशन के संयुक्त उपक्रम के रूप में आकार लेने वाले इस सोलर प्लांट से हर साल करीब 1200 मिलियन यूनिट सोलर बिजली का उत्पादन हो सकेगा।

खंडवा पहला जिला जहां तीन स्रोतों से बनेगी बिजली

खंडवा देश का एकमात्र ऐसा जिला है। जहां थर्मल यानी कोयला, हाइडल यानी पानी और सोलर से बिजली बनेगी। इनमें थर्मल और हाइडल से तो पहले से बन रही है। जिले में इंदिरा सागर बांध से एक हजार, ओंकारेश्वर बांध से 520 मेगावॉट के अलावा संत सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की दो इकाइयों से 2520 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है। वहीं अब ओंकारेश्वर बांध परियोजना के जलाशय में 600 मेगावॉट क्षमता सौर ऊर्जा का उत्पादन भी जल्द शुरू होगा ।

इसके अलावा प्रदेश में रीवा में 750 मेगावॉट क्षमता का एशिया का सबसे बड़ा अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क 1500 हैक्टेयर में शुरू हुआ है, जबकि ओंकारेश्वर का सोलर प्लांट पानी पर तैरने वाला होने से जमीन नहीं खरीदनी पड़ेगी। इससे परियोजना की लागत कम आने से सस्ती बिजली मिल सकेगी।

सोलर पैनल जलाशय में पानी की सतह पर तैरते रहेंगें बांध का जलस्तर कम-ज्यादा होने पर यह स्वतः ही ऊपर-नीचे हो सकेंगे। तेज लहरें और बाढ़ का भी इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सूर्य की रोशनी से निरंतर बिजली का उत्पादन मिलता रहेगा।

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