India News (इंडिया न्यूज़) Kuno National Park, भोपाल: भारत में पाई जाने वाली चिता प्रजाति बीते सात दश्क यहां से विलुप्त हो चुकी थी। एमपी में चिते की प्रजाती को बसाने की शुरूआत पिछले साल कल के ही दिन से ही हुई थी। जो लगभग सफल ही रही है। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन 17 सितम्बर को श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट की शुरूआत करते हुए 8 नामीबियाई चीतो को भारत को समर्पित किया था। जिसके बाद कूनो ने देश और दुनिया में अपनी पहचान बनाई। जिसके बाद 12 साउथ अफ्रीकी चीतों को भी कूनो में लाकर बसाया गया।
बता दें की कूनो नेशनल पार्क में चीते को स बसाए कल एक वर्ष पूरा हो गया है। जिसके चलते पूरे साल कुछ उतार-चढ़ाव भी देखनो को मिले।
17 सितंबर 2022 को नामीबिया से 8 चीते कुनो नेशनल पार्क लाए गए, जिनमें से 2 की मौत हो गई और अब 6 तेंदुए बचे हैं। वहीं 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 तेंदुए लाए गए, जिनमें से 4 की मौत हो गई और 8 तेंदुए बचे हैं। इसका मतलब है कि 20 तेंदुओं में से 14 बचे हैं, जिनमें 7 मादा और 7 नर हैं। मादा ज्वाला के चार शावकों में से एक अभी भी जीवित है।
जब मादा चीता ज्वाला ने कूनों नेशनल पार्क में एक शावक को जन्म दिया। तो पूरे मध्य प्रदेश में जश्न मनाया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने कूनों नेशनल पार्क को भी बधाई दी। लेकिन यह ख़ुशी ज़्यादा देर तक नहीं टिकी। चीता शावकों की मौत जन्म के 72 घंटे बाद ही शुरू हो गई और 27 मार्च को कूनों में मादा चीता साशा की मौत ने सभी को चौंका दिया। इसके बाद तो ऐसा लगा मानो चीतों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया हो।छह चीतों की मौत ने चीता प्रोजेक्ट पर कई सवाल खड़े कर दिए।
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