India News (इंडिया न्यूज़), Dusshehra 2023: हर साल दशहरे के अवसर पर देशभर में रावण के पुतलों का दहन किया जाता है, लेकिन एमपी के मंदसौर जिले में लोग रावण के पुतले का दहन करने की जगह उसकी सालभर पूजा करते हैं। गांव में 200 साल पुरानी रावण की एक प्रतिमा है, जिसकी लोग हर शुभ काम से पहले पूजा करते हैं। आखिर देशभर में दहन करने वाले रावण की पूजा इस गांव में क्यों की जाती है। आइए आपको बताते है इसके पीछे की कहानी।
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के खानपुरा क्षेत्र में रुण्डी में रावण की दस सिरों वाली मुर्ति स्थापित है। इस गांव को रावण का ससुराल माना गया है। क्योंकि यहां बसे लोगों का कहना है कि मंदोदरी यहीं की रहने वाली थी। पहले इस गांव को दशपुर के नाम से भी जाना जाता था, हालांकि यह गांव रावण का ससुराल है इस बात के पौराणिक साक्ष्य नहीं मिले, लेकिन गांव के बुजुर्ग मंदसौर के नाम को मंदोदरी से जोड़ा जाता हैं और रावण को इस गांव का दामाद मानते हैं।
यहां रावण को लोग दामाद के रूप में मानते हैं इसलिए इस गांव की कोई भी महिला उसकी प्रतिमा के आगे बिना घूंघट के नहीं जाती है। वहीं, माना जाता है कि रावण की प्रतिमा के पैर में काला धागा बांधने से किसी तरह की रोग बीमारी दूर हो जाती है, नहीं होती, इसलिए महिलाएं रावण के पैर में काला धागा बांधती हैं। दशहरे के दिन भी महिलाएं रावण के पैर में धागा बांधती हैं।
Also Read: MP Election 2023: निशा बांगरे चुनाव लड़ेंगी या नहीं? आज होगा…