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Bhoot Chaturdashi 2023: नरक चतुर्दशी क्या है? क्यों और कैसे मनाई जाती है, जानें इसका महत्व

• LAST UPDATED : November 9, 2023

India News (इंडिया न्यूज़), Bhoot Chaturdashi 2023: दिवाली उत्सव के दौरान धनतेरस, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे कई त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन इस दौरान पश्चिम बंगाल में एक और त्योहार मनाया जाता है, जिसे भूत चतुर्दशी कहा जाना जाता है।

यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भूत चतुर्दशी मनाई जाती है। साथ ही इसे नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली और काली चौदस भी कहा जाता है। भूत चतुर्दशी को दिवाली से एक दिन पहले मनाते है। जानें भूत चतुर्दशी की डेट, महत्व के बारे में

भूत चतुर्दशी कब है?

बता दें कि भूत चतुर्दशी 11 नवंबर 2023 शनिवार को है। शास्त्रों के अनुसार भूत चतुर्दशी के दिन रात्रि में तांत्रिक पूजा की जाती है। इस दिन कई अघोरी एक साथ पूजा और अनुष्ठान करके भूत उत्सव मनाते हैं। इसके साथ ही मान्‍यता है कि भूत चतुर्दशी के दिन एक परिवार के 14 पूर्वज अपने जीवित रिश्तेदारों से मिलने के लिए उनके घर पर पहुंचते हैं।

क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी

भूत चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी के नाम से पता चल रहा है इसका संबंध सीधे भूत प्रेत और आत्माओं से जुड़ा हुआ है। इस चतुर्दशी के दिन शाम के बाद यहां तांत्रिक क्रियाओं के लिए तांत्रिकों या अघोरियों का जमावड़ा लग जाता है। यह माना जाता है कि तंत्र साधना से तांत्रिक भूतों को बुलाते हैं और इसी कारण से इस संपूर्ण क्रिया को भूत उत्सव के रूप में जाना जाता है। इस दिन को अपने पूर्वजों की चौदह पीढ़ियों के सम्मान की परंपरा कहा जाता है। चतुर्दशी की रात 14 दीए पूर्वजों के नाम से जलाए जाते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस रात बुरी शक्तियां अधिक हावी होती हैं और इन बुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए ही दीप जलाते हैं।

भूत चतुर्दशी कैसे मनाते है 

इस चतुर्दशी को भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम का दीपक जलाया जाता है। देश में ऐसी कई जगह हैं जहां अघोरी तांत्रिक क्रियाएं होती हैं, यह माना जाता है कि तंत्र से तांत्रिक भूतों को बुलाते हैं। इस दिन को भूत उत्सव के रूप में मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल में इस दिन काली मां की पूजा होती है।

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