India News ( इंडिया न्यूज ), Cancer Treatment: टाटा मेमोरियल सेंटर के डॉक्टरों के मुताबिक उन्होंने कैंसर मेटास्टेसिस के लिए एक थेरेपी की खोज की है। जिसके जरिए मेटास्टेसिस कैंसर का जोखिम कम हो सकता है। न्यूट्रास्युटिकल थेरेपी की मदद से कई मरीज ठीक हुए हैं। वहीं एक लंबे रिसर्च के अनुसार कैंसर की मरने वाली कोशिकाएं क्रोमोसोम के टुकड़े छोड़ती है। जो कभी-कभी हेल्थ कोशिकाओं से जुड़ जाती है और नए ट्यूमर की वजह बनती है।
जानकारी के मुताबिक कई मरीज इससे ठीक हुए हैं। वहीं इसके अध्ययन में चल रहे कैंसर के इलाज पद्धतियों में शामिल संभावित जोखिम को उजागर किया है। रिसर्च का नेतृतव करने वाले डॉ. इंद्रनील मित्रा के अनुसार रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी प्राथमिक ट्यूमर के सेल्स को मार देते हैं। इसके साथ ही वो कैंसर की कोशिकाओं को क्रोमैटिन जारी करने का वजह बनते हैं। जिनको CFCHP कहा जाता है। इससे खून के जरिए बॉडी में कहीं और हेल्थ सेल्स में प्रवेश कर सकते हैं और वहां कैंसर की वजह बन सकते हैं।
सीएफसीएचपी पर आगे के टेस्ट से पता चलता है कि पौधे और तांबे से बना न्यूट्रास्युटिकल उन्हें बेकार कर सकता है। साथ ही मेटास्टेसिस के जोखिम को कम कर सकता है। बता दें कि टाटा मेमोरियल सेंटर ने दवा बनाने के लिए एक न्यूट्रास्युटिकल से समझौता किया है।
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