India News ( इंडिया न्यूज) Mahadev Temple: हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो गांधीनगर से लगभग 175 किलोमीटर की दूरी पर है। जानकारी के मुताबिक ये मंदिर दिन में दो बार गायब हो जाता है। आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी।
हमारे देश में 10 लाख से अधिक मंदिर हैं। जहां की प्रत्येक मंदिर की अपनी महिमा है। इसकी वजह से लोगों ने इन मंदिरों पर सालों तक विश्वास बनाए रखा है। हर वर्ष लाखों मंदिर दर्शान करने आते हैं और साथ ही भगवान से प्रार्थना करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहै हैं जिसके बारे में सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। ये मंदि रगुजरात की राजधानी गांधीनगर से लगभग 175 किलोमीटर की दूरी पर है। ये कवि कंबोई गाँव में मौजूद है, जिसे देखकर सभी को इसके जादुई खेल के लिए हैरानी है। बता दें कि ये मंदिर कुछ नहीं है बल्कि भगवान शिव का स्तंभेश्वर महादेव मंदिर है, जिसे 150 साल पुराना कहा जाता है। यह मंदिर खंभात की खाड़ी और अरब सागर से घिरा हुआ है, जिसको देखतने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
शिवपुराण के मुताबिक , एक राक्षस नामक तारकासुर ने भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए बहुत ही तपस्या की थी। जब भगवान तारकासुर के तपस्या से प्रसन्न हुए तो उन्होंने उससे वापसी में इच्छित वर मांगने के लिए कहा। तारकासुर ने भगवान से कहा कि उसको कोई शिव के पुत्र के अलावा दूसरा नहीं मार सकता, लेकिन उनके पुत्र की उम्र 6 दिन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
महादेव के वर मिलने के बाद राक्षस के द्वारा लोगों को प्रेशान किया जानें लगा। फिर देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि उसे मार दिया जाए। फिर 6 दिन के बच्चे कार्तिकेय का जन्म हुआ और राक्षस को मौत के घाट उतार दिया गया। बहुत कम लोगों को पता है कि ये मंदिर दोपहर और शाम में समुंद्र में समा जाता है। इसके पीछे की वजह प्राकृतिक है।
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