India News MP (इंडिया न्यूज), Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी कर दी है। इस सूची में कांग्रेस के कई दिग्गजों को टिकट दिया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राजगढ़ से चुनाव लड़ेंगे, इसके अलावा कांतिलाल भूरिया को रतलाम-झाबुआ सीट से टिकट मिला है। कांग्रेस अब तक राज्य की 22 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी है, जबकि 6 सीटों पर मामला अभी भी लंबित है।
आपको बता दें कि कांग्रेस ने गुना, खंडवा, विदिशा, मुरैना, ग्वालियर और दमोह जिले में प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं की है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों कांग्रेस ने इन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है।
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने ऐलान किया था कि वह गुना में बीजेपी के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसके पीछे उनका तर्क है कि पिछले चुनाव में सिंधिया को हराने वाले गुना से बीजेपी सांसद केपी यादव का टिकट काट दिया गया है। इससे यादव मतदाताओं में काफी नाराजगी है। अब अगर वह इस सीट से चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें इसका पूरा फायदा मिलेगा। हालांकि, सूत्रों का यह भी कहना है कि कांग्रेस आलाकमान चाहता है कि वह खंडवा सीट से ही चुनाव लड़ें। इसलिए खंडवा और गुना सीट पर अभी भी कांग्रेस का कब्जा है।
गुना लोकसभा सीट पर कोई फैसला नहीं होने के बाद खंडवा सीट स्वत: ही होल्ड पर चली गई है। यहां से आलाकमान की पहली पसंद अरुण यादव हैं। पिछले उपचुनाव में कांग्रेस ने राजनारायण सिंह को टिकट दिया था। जिन्हें ज्ञानेश्वर पाटिल ने करीब 50 हजार वोटों से हराया था। अब अगर यहां नया समीकरण बनता है तो कांग्रेस अरुण यादव के विकल्प के तौर पर पूर्व सांसद ताराचंद पटेल के बेटे नरेंद्र पाटले या सुनीता सकरगाई को मैदान में उतार सकती है। अगर यह सीट महिला कोटे में जाती है तो सुनीता सकरगे को मौका मिल सकता है। सुनीता के ससुर कालीचरण सकरगाई सांसद रह चुके हैं। हालांकि अंतिम फैसला अरुण यादव ही लेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने अभी तक विदिशा लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। इस बीच चर्चा है कि पूर्व विंग कमांडर अनुमा आचार्य विदिशा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। लेकिन यहां पूर्व सांसद प्रताप भानु शर्मा और विधायक देवेन्द्र पटेल का नाम भी सुर्खियों में है। जबकि अन्य नेता महिला उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं।
कांग्रेस यहां ठाकुर उम्मीदवार को उतारने की तैयारी में थी, लेकिन बीजेपी ने सबसे पहले बाजी मारी और पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर को अपना उम्मीदवार बनाया। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को जौरा विधायक पंकज उपाध्याय पसंद हैं लेकिन फिलहाल वह स्थानीय समीकरण में फिट नहीं बैठ रहे हैं। पूर्व विधायक नीटू सिकरवार का नाम भी चल रहा है, लेकिन अगर वे उम्मीदवार बनते हैं तो कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवार एक ही समुदाय से होंगे और फिर यहां तीसरा मोर्चा तैयार हो जाएगा। बसपा अपना उम्मीदवार उतारकर समीकरण बिगाड़ सकती है।
मुरैना सीट पर प्रत्याशी तय नहीं होने से ग्वालियर लोकसभा सीट पर भी पेंच फंसा हुआ है। दरअसल, ग्वालियर सीट पर दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। इनमें पूर्व सांसद रामसेवक सिंह बाबूजी और पूर्व विधायक प्रवीण पाठक के अलावा जिला कांग्रेस अध्यक्ष डॉ.देवेंद्र शर्मा, पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव, युवा कांग्रेस नेता मितेंद्र सिंह, विधायक डॉ.सतीश सिकरवार आदि के नाम शामिल हैं। यहां से नीतू सिकरवार का नाम भी चल रहा है। तो वहीं उनके भाई सतीश सिकरवार विधायक और भाभी शोभा सिकरवार मेयर हैं। ऐसे में बीजेपी परिवारवाद पर कांग्रेस को घेर सकती है।
दमोह लोकसभा सीट के लिए भी कांग्रेस ने अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में चर्चा चल रही है कि सुप्रीम कोर्ट के वकील वरुण ठाकुर की पत्नी जया ठाकुर भी दमोह संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छुक हैं और वह पिछले चुनाव से भी लगातार दावेदारी कर रही हैं। लेकिन उनके पति नहीं चाहते कि वह यहां से चुनाव लड़ें। इस कारण यहां असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वहीं दमोह सीट पर लोधी और कुर्मी मतदाताओं की संख्या निर्णायक है, ऐसे में कांग्रेस यहां से साध्वी राम सिया भारती को अपना उम्मीदवार बना सकती है।
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