यहां से भारत के कोलकाता और ढाका के बीच कनेक्टिविटी थी, सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी ने भी इसी रूट का इस्तेमाल किया है
लेकिन आज यह स्टेशन भूतहा लगता है, यहां के सिग्नल, टेलीफोन और टिकट ऑफिस जैसे उपकरण भी ब्रिटिश काल के हैं