होम / मन को मोह लेते हैं भोपाल के ‘मोर वन’, के नजारे

मन को मोह लेते हैं भोपाल के ‘मोर वन’, के नजारे

• LAST UPDATED : May 4, 2022

इंडिया न्यूज़, भोपाल।

भोपाल। शाहपुरा पहाड़ी पर 67 हेक्टेयर में फैला जंगल शहरवासियों के लिए प्रकृति का नायाब तोहफा है। यह शहरी वन क्षेत्र वनस्पतियों और जीवों का घर है। शाहपुरा झील से सटा क्षेत्र राष्ट्रीय पक्षी मोर, तितलियों और विभिन्न प्रकार के सरीसृपों, पक्षियों, स्तनधारियों व असंख्य जीवों की प्रजातियों को अपने में पनाह दिए हुए है। भोपाल के लोग खुशकिस्मत हैं कि शहर में रहते हुए भी उनके पास ऐसा जंगल है जहां बड़ी संख्या में मोरों को नाचते देख सकते हैं। एक तरह से यह ‘मोर वन है। वहीं रंग-बिरंगी आकर्षक तितलियां मन मोह लेती हैं।

 

दरअसल मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड की ओर से विशेषज्ञों द्वारा शाहपुरा वन क्षेत्र में सर्वे कराया गया है। सर्वे में शामिल सरोजनी नायडू महाविद्यालय के प्राणी शास्त्र के प्राध्यापक डॉ. मुकेश दीक्षित और वनस्पति शास्त्र की सह प्राध्यापक डॉक्टर दीप्ति संकत ने मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड को इनके संरक्षण का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि यहां मोर संरक्षण केंद्र बनाना चाहिए। वहीं तितलियों के लिए बटरफ्लाई पार्क बनाने की आवश्यकता बताई है।

आखिर यहां क्यों हैं इतने मोर

मन को मोह लेते हैं भोपाल के 'मोर वन', के नजारे

मन को मोह लेते हैं भोपाल के ‘मोर वन’, के नजारे

सर्वे करने वाले डॉ. मुकेश दीक्षित का कहना है कि मोर ऐसे स्थान पर रहना पसंद करते हैं जो शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की सीमा पर हो। शाहपुरा वन क्षेत्र ऐसा ही इलाका है, जो एक तरफ शहर से सटा है तो दूसरी ओर शहर का बाहरी इलाका जुड़ा है। यह स्थान वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध है और मानवीय गतिविधियां नहीं हैं। इसलिए यह मोरों के अनुकूल है। मोरों की जनगणना के लिए वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है। ये सर्वाहारी होते हैं। इस क्षेत्र में मोरों को प्रचुर मात्रा में भोजन मिलता है। यहां पौधों के हिस्से, फूलों की पंखुडिय़ां, बीज, कीड़े आदि भोजन के रूप में हैं। शाहपुरा के वन क्षेत्र में घने वृक्षों के कारण कीटों की विविधता है जो मोरों के लिए बहुत ही सामान्य भोजन है।

संरक्षण जरूरी है

डॉ. मुकेश दीक्षित ने बताया कि मोर वातावरण में होने वाले परिवर्तनों का जैव ***** होता है। इसी तरह अन्य पक्षी भी जैव ***** के रूप मे उपयोगी होते हैं। किसी स्थान पर पक्षीयों की विविधता का पाया जाना, वहां के संतुलित वातावरण की ओर सूचित करता है। मानव जनित कार्यों से क्षेत्र में इनकी संख्या पर प्रभाव पड़ता है। यह अनुसंधान कार्य छात्रों, शिक्षकों, पर्यावरणविदों, वन कार्मियों, पक्षी प्रेमियों, प्रकृति प्रेमियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

तितलियों के लिए भी अनुकूल क्षेत्र

य ह वन क्षेत्र तितलियों के लिए भी अनुकूल है, क्योंकि यहां अनेक ऐसे पौधे हैं तो तितलियों का आकर्षित करते हैं। यहां तितलियों की विभिन्न प्रजातियां देखी गईं हैं। पाइरगिनाई, डैनैने, पॉलीओमैटिना, निम्फालिनाई, कोलियाडीने, हेस्परिना से संबंधित सदस्य ज्यादातर देखे गए। डॉ. दीक्षित का कहना है कि तितली आवास के लिए उपयोगी पौधों की प्रजातियों को संरक्षित किया जाना चाहिए। यहां तितलियों की कई अन्य प्रजातियां भी मौजूद थीं, जिनका अध्ययन कम से कम दो मौसमों के लिए किया जा सकता है।

परागणकर्ता के रूप में काम करती हैं

ति तलियां स्थानीय वातावरण में एक महत्वपूर्ण पादप परागणकर्ता के रूप में कार्य करती हैं। अगर यहां बटरफ्लाई पार्क बनाया जाता है तो इस जंगल की वनस्पतियों और जैव संपत्ति में इजाफा होगा। 71 ऐसी पादप प्रजातियां हैं, जिनको रोपित करने का सुझाव तितलियों के लिए दिया गया है तथा 128 पादप प्रजातियां हैं जो पूर्व से ही वन में उपलब्ध हैं और तितलियों के जीवन चक्र में सहायक हैं।

Read more:  मध्य प्रदेश के सिवनी में गोहत्या के आरोप में दो आदिवासी लोगों की पीट-पीटकर हत्या, एक गिरफ्तार

Connect With Us : Twitter | Facebook Youtube

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
mail logo

Subscribe to receive the day's headlines from India News straight in your inbox