India News MP (इंडिया न्यूज़), MP High Court: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है जिसमें लहसुन को सब्जी और मसाला दोनों रूपों में मान्यता दी गई है। इस फैसले से न केवल किसानों, बल्कि उद्यमियों को भी लाभ होगा, क्योंकि लहसुन की व्यापारिक स्थिति में सुधार होगा।
मामला 2015 का है जब मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड ने लहसुन को सब्जी के रूप में मान्यता देते हुए एक प्रस्ताव जारी किया। इसके तहत, बिजली आपूर्ति में कमी की घोषणा की गई। हालांकि, कृषि विभाग ने इस आदेश को निरस्त कर दिया और किसानों को कृषि उपज बाजार समिति अधिनियम 1972 के तहत सब्सिडी का अधिकार दे दिया। इसके बाद, यह मामला न्यायालय में पहुंच गया।
जुलाई 2017 में, उच्च न्यायालय की दो जजों की बेंच ने यह आदेश दिया कि लहसुन को सब्जी और मसाला दोनों रूपों में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे पहले, 2016 में आलू प्रमुख लहसुन कमीशन एजेंट एसोसिएशन ने इस मुद्दे को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। एकल न्यायाधीश ने फरवरी 2017 में इसके पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन इस फैसले से किसानों को फायदा नहीं हुआ था।
हालांकि, हाल के निर्णय में, न्यायालय ने कृषि उपज मंडी को वापस लेने का आदेश दिया और लहसुन को सब्जी के रूप में मान्यता देने के फैसले को बहाल किया। इसका मतलब यह है कि अब लहसुन को सब्जी और मसाला दोनों रूपों में बेचा जा सकेगा, जिससे किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा और उनके व्यापार को स्थिरता मिलेगी।
मंदसौर के किसान परमानंद पाटीदार ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि अब उनके पास अपनी उपज बेचने के लिए दो विकल्प हैं, और लहसुन पहले से ही अधिकतम मूल्य पर खरीदी जा रही है। मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड के संयुक्त निदेशक चंद्रशेखर ने भी पुष्टि की कि लहसुन को सब्जी मंडियों में बोली की मात्रा मिलेगी। इस फैसले से स्पष्ट है कि न्यायालय ने किसानों और उद्यमियों के हितों की रक्षा की है और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए एक ठोस कदम उठाया है।