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Petlawad Blast Case of Madhya Pradesh 78 बेगुनाहों की मौत की सजा कोर्ट ने सुनाई महज 1,600 रुपये

• LAST UPDATED : March 7, 2022

Petlawad Blast Case of Madhya Pradesh

इंडिया न्यूज़, झाबुआ:

Petlawad Blast Case of Madhya Pradesh  मध्य प्रदेश के झाबुआ(exploded at Petlawad in Jhabua district) जिले के पेटलावद में साल 2015 में जिलेटिन की छड़ों से भरे गोदाम में विस्फोट(godown filled with gelatin sticks exploded at Petlawad ) हो गया था। इस हादसे के सभी 7 आरोपियों को जिला कोर्ट ने बरी करने का फरमान सुना दिया है। वहीं थाना प्रभारी की महज 1600 रुपए वेतनवृद्धि रोकने का आदेश सुनाकर सुनवाई बंद कर दी है। कोर्ट के इस फैसले पर कांग्रेस नेता कमलनाथ(Congress leader Kamal Nath has questioned the government) ने सरकार पर सवाल उठाते कहा है कि न तो इस हादसे की जांच सही से हुई और न ही कोर्ट में पैरवी ठीक तरह से हुई। यही नहीं जो वायदे उस समय पीड़ितों से किए गए थे वह भी आज तक अधूरे पड़े हैं। उचित न्याय दिलवाने की बात भी सरकार के वायदों की तरह खोखली साबित हुई है।

Petlawad Blast Case of Madhya Pradesh

Petlawad Blast Case of Madhya Pradesh

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पेटलावद केस में बनाए गए थे सात आरोपी

जानकारी के लिए बता दें कि इस हादसे में गोदाम में काम कर रहे 78 बेगुनाह मजदूरों की मौत (78 innocent laborers died )हो गई थी। उस समय जांच के दौरान सात लोगों को आरोपी बनाया गया था। लेकिन केस सात साल चला और इस दौरान पांच आरोपियों को अदालत पहले ही गवाहों और साक्ष्य के अभाव में बरी कर चुकी है। वहीं आज दो मुख्य आरोपियों धमेंद्र राठौड़ और राजेंद्र कास्वां जोकि पहले मर चुका है को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया गया है। वहीं तत्कालीन थाना प्रभारी शिवजी की 1600 रुपए वेतनवृद्धि रोकने पर, थानाध्यक्ष ने कहा कि मुझे बलि का बकरा बनाया गया है। जबकि मुझसे पहले इस केस की निगरानी करने की जिम्मेदारी आलाधिकारियों की थी।

पेटलावद केस में बनाए गए थे सात आरोपी

पेटलावद केस में बनाए गए थे सात आरोपी

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क्या था मामला

बता दें कि 12 सितंबर 2015 को पेटलावद में जिलेटिन की छड़ों से भरे गोदाम में विस्फोट हो गया था। धमाका इतना जोरदार था कि उस समय 78 लोग इस हादसे का शिकार हो गए थे। यही नहीं मृतकों के शवों को पोटली में बांध कर बाहर निकाला गया था। शव भी बुरी तरह से क्षत विक्षत थे। जिसकी वजह से परिजन अपने प्रियजनों की शिनाख्त करना तो दूर, शवों का सही से संस्कार भी नहीं कर पाए थे। इस केस में एसआईटी भी गठित की गई थी।

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