धार्मिक कथाओं के अनुसार भोले बाबा किसी वाहन के पूरे संसार में घूमा करते थे। एक दिन जब वह जगत में घूम रहे थे तो यमराज ने उन्हें देखा। उनके मन में यह बात आई कि वह बाबा के वाहन बन जाएं लेकिन इतना आसान नहीं था तो उन्होंने भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए कठिन तप किया। यम के तप से शंभू भगवान प्रसन्न हुए और उन्होंने यम को बैल रूप में अपना वाहन बनाना स्वीकार कर लिया।
भोलेनाथ ने बैल रूप को इसलिए चुना क्योंकि बैल अत्यंत भोला होता है। उसके मन में किसी भी प्रकार का छल नहीं होता। बस यही कारण है कि भोले बाबा ने बैल यानी कि नंदी को अपना वाहन बनाया। बस यही नही भोले बाबा ने नंदी को अपना प्रधान सेनापति भी बनाया। यह कहा जाता है कि भगवान शिव की सेना नंदी बाबा के कहने पर ही चलती है।
बाबा ने नंदी को आशीर्वाद दिया था कि उनकी पूजा से पहले नंदी की पूजा होगी। बस यही कारण है कि शिवालय के साथ नंदी बाबा की मूर्ति जरूर होती है। यह मान्यता है कि यदि भोलेनाथ से कुछ मांगना है और आपने नंदी बाबा के कानों में सच्ची श्रद्धा, पवित्रता और अटूट निष्ठा से अपनी बात कह दी तो वह भोलेनाथ तक जरूर पहुंचा देते है। और भक्तों की मुराद पूरी हो जाती है।
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