India News(इंडिया न्यूज़), Shardiya Navratri 2023: शेलपूतत्री देवी भारतीय हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण देवी है, और विशेष रूप से गुजरात राज्य में पूजी जाती है। वह माँ आदिशक्ति की एक रूप है और विकल्पक रूप से शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। शेलपूतत्री देवी की कथा के अनुसार, वे भगवान शिव और पार्वती के एक रूप के रूप में प्रकट हुईं थीं तथा उन्होंने अपनी आत्मा को वंदन के लिए प्रकट किया। उनके नाम में “शैल” शब्द शिव को सूचित करता है, और “पुत्री” शब्द बेटी को दर्शाता है, इसलिए वे “शेलपूतत्री” कहलाईं।
शेलपूतत्री देवी का उपासना मुख्य रूप से नवरात्रि के दौरान की जाती है, जब उन्हें नौ दिनों तक पूजा जाता है। इस पूजा के दौरान, भक्त व्रत रखते हैं और विशेष रूप से शैलपुत्री देवी की पूजा करते हैं। उन्हें पुष्प, दीप, चन्दन, रोली, चावल, सिन्दूर, बेटा और सुने के केरों के ब्रेसलेट के रूप में चढ़ाते हैं।
इस दिन भक्त शेलपूत्री देवी के चरणों का दर्शन करते हैं और उनके आशीर्वाद का प्राप्त करते हैं। इसके बाद, नौ दिनों तक नौ दिन के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो नौ दिन के नौ अवतार होते हैं।
गुजरात राज्य में माँ शेलपूत्री के प्रमुख मंदिरों में से कुछ महत्वपूर्ण हैं:
अम्बाजी मंदिर : यह मंदिर गुजरात राज्य के बनासकांठा जिले के अम्बाजी नगर में स्थित है और माँ शेलपूत्री को प्रमुख रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और यह नवरात्रि के दौरान भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
कालिका माता मंदिर : यह मंदिर पवागढ़, गुजरात में स्थित है और शेलपूत्री देवी को “कालिका माता” के रूप में पूजा जाता है। मंदिर का वास्तुकला संरचना और स्थल का अत्यंत माहत्म्यपूर्ण है।
आरण्यवासी मंदिर : यह मंदिर भारूच, गुजरात के पावगढ़ जिले में स्थित है और माँ शेलपूत्री को “आरण्यवासिनी” के रूप में पूजा जाता है, मंदिर का वातावरण प्राकृतिक है और यहाँ के भक्त ध्यान और तपस्या के लिए आते हैं।
शैलपुत्री देवी का महत्व
हिन्दू धर्म में अत्यधिक है, और वे नौ दिन के नौ रूपों के साथ नवरात्रि के दौरान पूजी जाती हैं, जिसमें भक्त उनके अवतार को पूजते हैं, यह दिन माँ शैलपुत्री के पूजा के अलावा, व्रत, आरती, और भजन गान के साथ मनाए जाते हैं और भक्त उनसे आशीर्वाद मांगते हैं, इसके माध्यम से भक्त शक्ति, सौभाग्य और सफलता की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।
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