होम / Somvar Vrat: इस कथा के बिना अधूरा है सोमवार का व्रत, भोलेनाथ करेंगे मनोकामना पूरी

Somvar Vrat: इस कथा के बिना अधूरा है सोमवार का व्रत, भोलेनाथ करेंगे मनोकामना पूरी

• LAST UPDATED : March 4, 2024

India News(इंडिया न्यूज़),Somvar Vrat: हिंदू धर्म में हर एक दिन का अपना विशेष महत्व माना जाता है। इसी तरह सोमवार का दिन भोलेनाथ को अर्पित होता है। इस दिन भोलेनाथ की पूजा विशेष रूप से की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भोलेनाथ बहुत भले हैं और बहुत सरल उपाय से भी वैसे शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। सोमवार के दिन भोलेनाथ का व्रत करते है तो इस दिन कथा का पाठ जरूर करें। इस कथा से भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते है।

साहुकार को मिला वरदान (Somvar Vrat)

एक बार किसी नगर में साहुकार था। उसके पास धन की कोई कमी नही थी लेकिन संतान न होने की वजह से वह बहुत दुखी था। संतान प्राप्ति के लिए वह हर सोमवार को व्रत रखता था और पूरी श्रद्धा के साथ शिव मंदिर जाकर भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करता था। उसकी भक्ति देखकर एक दिन मां पार्वती प्रसन्न होकर भगवान शिव से साहूकार की मनोकामना पूर्ण करने का निवेदन किया।

पार्वती जी के आग्रह पर भगवान शिव ने कहा कि ‘हे पार्वती, इस संसार में हर प्राणी को उसके कर्मों का फल मिलता है और जिसके भाग्य में जो हो उसे भोगना ही पड़ता है’ लेकिन पार्वती जी ने साहूकार की भक्ति देखकर उसकी मनोकामना पूर्ण करने की इच्छा व्यक्त की। माता पार्वती के आग्रह पर शिवजी ने साहूकार को पुत्र-प्राप्ति का वरदान तो दिया लेकिन उन्होंने बताया कि यह बालक 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा।

साहुकार ने बेटे को भेजा काशी 

माता पार्वती और भगवान शिव की बातचीत को साहूकार सुन रहा था, इसलिए उसे ना तो इस बात की खुशी थी और ना ही दुख। वह पहले की तरह शिव की पूजा करता रहा। कुछ समय के बाद साहूकार की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। जब वह बालक ग्यारह साल का हुआ तो उसे पढ़ने के लिए काशी भेज दिया गया। साहूकार ने पुत्र के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन देते हुए कहा कि तुम इस बालक को काशी विद्या प्राप्ति के लिए ले जाओ। तुम लोग रास्ते में यज्ञ कराते जाना और ब्राह्मणों को भोजन-दक्षिणा देते हुए जाना।

दोनों मामा-भांजे इसी तरह यज्ञ कराते और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देते काशी नगरी निकल पड़े। इस दौरान रात में एक नगर पड़ा जहां नगर के राजा की कन्या का विवाह था, लेकिन जिस राजकुमार से उसका विवाह होने वाला था वह एक आंख से काना था। राजकुमार के पिता ने अपने पुत्र के काना होने की बात को छुपाने के लिए सोचा क्यों न उसने साहूकार के पुत्र को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूं। विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा। लड़के को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह करा दिया गया।

ये भी पढ़ें :

 

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
mail logo

Subscribe to receive the day's headlines from India News straight in your inbox