India News(इंडिया न्यूज़), National Unity Day: आज 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है। हमारा देशा 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। उस समय नेहरू की जगह सरदार पटेल प्रधानमंत्री पद के असली हकदार थे या नही? क्या उस समय पीएम पद के लिए सरदार पटेल नेहरू से बेहतर थे? ये सवाल अक्सर उठाया जाता है कि अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो आज देश के हालात कुछ और होते।
क्या उस समय पहले प्रधानमंत्री चुने जाने में महात्मा गांधी की कोई भूमिका थी? ऐसे कई सवाल हैं जो कई दशकों से लोगों के मन में हैं और अक्सर अलग-अलग मौकों पर उठते भी है।
1945 में जब द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ तो ब्रिटिश सरकार को समझ आ गया कि अब भारत को अधिक समय तक गुलाम बनाकर नहीं रखा जा सकता है। वहीं आजादी के आंदोलन में लगे स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं को भी समझ आ गया था कि अब लड़ाई अपने अंतिम चरण में है। ऐसे में ब्रिटिश सरकार ने 1946 में कैबिनेट मिशन की योजना बनाई।
और कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष प्रधानमंत्री बनता है।
इसके तहत देश में वायसराय की एक कार्यकारी परिषद का गठन किया जाना था। ब्रिटिश वायसराय को इसका अध्यक्ष बनना था। दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष को इस परिषद का उपाध्यक्ष बनना था। उस समय यह तय हो गया था कि यही उपराष्ट्रपति आगे चलकर भारत का प्रधानमंत्री बनेगा। जिस समय यह पूरी चर्चा और कवायद चल रही थी, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर थे। कलाम आज़ाद 1940 से इस पद पर थे। महात्मा गांधी चाहते थे कि अबुल कलाम आज़ाद यह पद छोड़ दें लेकिन वह ऐसा नहीं करना चाहते थे। आख़िरकार गांधीजी का दबाव काम आ गया और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ दिया।
अप्रैल 1946 में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई। बैठक में महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, खान अब्दुल गफ्फार खान, आचार्य जेबी कृपलानी और अन्य दिग्गज नेताओं ने हिस्सा लिया। उस समय कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव प्रांतीय कांग्रेस समितियों द्वारा किया गया था। कांग्रेस की 15 प्रांतीय समितियों में से 12 समितियाँ सरदार वल्लभभाई पटेल के पक्ष में थीं। इसका कारण यह भी था कि सरदार पटेल की संगठन पर पकड़ बहुत मजबूत थी।
उस समय तक एक बात तो स्पष्ट हो गई थी कि महात्मा गांधी जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहते थे। ये बात महात्मा गांधी ने भी कही थी जब उन्होंने मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ने के लिए कहा था। यह भी कहा जाता है कि कांग्रेस की बैठक से पहले महात्मा गांधी ने मौलाना को लिखे पत्र में कहा था, ‘अगर मुझसे कहा जाएगा तो मैं जवाहर लाल को ही प्राथमिकता दूंगा। मेरे पास इसके कई कारण हैं। अब इस पर चर्चा क्यों होनी चाहिए?’ महात्मा गांधी के इस रुख के बावजूद नेहरू के नाम पर कोई सहमति नहीं बन पाई।
इसके अंत में आर्चाय कृपलानी को कहना ही पड़ा कि मैं बापू की भावनाओं का सम्मान करते हुए जवाहरलाल नेहरू का नाम प्रस्तावित करता हूं। कार्यसमिति के कई सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर भी किए। इस कागज पर सरदार पटेल ने भी हस्ताक्षर किए थे। बैठक में महासचिव जेबी कृपलानी ने एक अन्य कागज पर सरदार पटेल द्वारा उम्मीदवारी वापस लेने का जिक्र किया गया। बैठक में जेबी कृपलानी ने सरदार पटेल से साफ कहा कि वे अपनी उम्मीदवारी वापस ले लें और नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष बनने दें। अंततः निर्णय महात्मा गांधी पर छोड़ दिया गया। इसके बाद महात्मा गांधी ने नेहरू के नाम वाला कागज सरदार पटेल की ओर हस्ताक्षर के लिए बढ़ाया। महात्मा गांधी के फैसले का सम्मान करते हुए सरदार पटेल वल्लभ भाई पटेल ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली।
Also Read: MP Election 2023: चुनावी रैली में जाने से पहले समर्थक पर…
India News MP (इंडिया न्यूज़), MP Doctors’ strike: कोलकाता में 8 अगस्त को एक ट्रेनी…
India News MP (इंडिया न्यूज़), MP Weather Update: मध्य प्रदेश में एक हफ्ते के ब्रेक…
India News MP (इंडिया न्यूज़), Tribal youth Assaulted: इंदौर में एक शर्मनाक घटना सामने आई…
India News MP (इंडिया न्यूज़), MP NCL scandal: मध्य प्रदेश के सिंगरौली में नॉर्दर्न कोलफील्ड्स…