election commission national party: “इस साल देश में कई ऐसे राज्य हैं। जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसके लिए देश की तमाम राजनीतिक पार्टियां लोगों के बीच अपनी जमीन मजबूत करने में लगी हुई हैं। ऐसे में एक बहुत बड़ी खबर सामने आई। बता दें कि में चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रेस एनसीपी और सीपीआई से नेशनल पार्टी का दर्जा वापस ले लिया है।
इन तीनों पार्टियों का वोट शेयर देश में 6% से भी कम था। जिसके चलते चुनाव आयोग ने यह फैसला लिया है।
वहीं, आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है। राष्ट्रीय पार्टियों की संख्या 8 से घटाकर 6 हो गई है। जिसमें राष्ट्रीय पार्टी में बीजेपी, कांग्रेस, बसपा, सीपीएम, एनपीपी और आप है। तो वहीं राष्ट्रीय लोक दल से राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा वापस लिया गया है।
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल RLD पश्चिम बंगाल में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी RSC आंध्र प्रदेश में भारत राष्ट्र समिति BRS मणिपुर में PDA पचेरी में PMK और मिजोरम में MPC से राज्य पार्टी का दर्जा छीन लिया गया लोक जनशक्ति पार्टी त्रिपुरा में नागालैंड में पिपरा मोटा पार्टी, मेघालय की पत्नी पीपुल्स पार्टी को राज्य पार्टी के रूप में मान्यता दी गई है।
पार्टी को कम से कम 4 राज्यों में 6 फ़ीसदी वेट हासिल होना चाहिए। लोकसभा की कुल सीटों में से 2 फीसदी सीटें कम से कम 3 राज्यों से मिली हो। पार्टी को चार राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा मिला हो।
राष्ट्रीय पार्टी अपना सिंबल और चुनाव चिन्ह देशभर में सुरक्षित कर सकती हैं। राष्ट्रीय पार्टी चुनाव प्रचार में अधिकतम 40 स्टार प्रचारक रख सकती है। साथ ही इनकी यात्रा खर्चा को उम्मीदवार के चुनाव खर्च में नहीं रखा जाता है। राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय पार्टी को सब्सिडी दर पर पार्टी अध्यक्ष पार्टी कार्यालय के लिए एक सरकारी घर किराए पर मिल जाता है। आम चुनाव के दौरान राष्ट्रीय पार्टी को आकाशवाणी प्रसारण के लिए बोर्ड कास्ट मिलते हैं। राष्ट्रीय पार्टियों को सरकारी चैनलों पर दिखाए जाने का समय तय होता है।
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