इंदौर: इंदौर के शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय में विवादास्पद पाठ्य सामग्री से बच्चों को पढ़ाने का मामला सामने आने के बाद प्रदेश सरकार ने मदरसों में पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम की जांच कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद से इंदौर में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शहर के मदरसों की जांच और निरीक्षण किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि संकुल प्रभारी और मदरसे प्रभारी पढ़ाए जाने वाले कंटेंट की भी जांच कर रहे हैं।
प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कतिपय मदरसों में आपत्तिजनक बातें पढ़ाए जाने की शिकायतें मिली हैं। सरकार ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए कि मदरसों में पढ़ाई जा रही सामग्री की जांच कराएं। इस पर इंदौर में भी मदरसों की जांच शुरू हो गई है। इंदौर में 65 मदरसे संचालित हो रहे हैं। 7 मदरसे वर्तमान शैक्षणिक सत्र में बंद हुए है और इसकी सूचना जिला शिक्षा कार्यालय में आई है। वर्तमान में जिले में जो मदरसे संचालित हो रहे है वे प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के हैं। जिला शिक्षा अधिकारी के नेतृत्व में विभाग की टीम ने शहरी क्षेत्र में जूना रिसाला, खजराना, चंदन नगर, विजय नगर सहित अन्य क्षेत्रों में संचालित मदरसों की जांच की।
स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार मदरसों की जांच नियमित रूप से होती है। जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि संकुल प्रभारी और मदरसे प्रभारी जांच-निरीक्षण के बिंदुओं के तहत दौरा कर रहे हैं। साथ ही पढ़ाए जाने वाले कंटेंट को लेकर जांच कर रहे हैं। फिलहाल अब तक की जांच में कोई विवादास्पद कंटेंट नहीं मिला है। निर्धारित पाठ्यक्रम और निर्धारित पुस्तकों से ही बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।
बहरहाल बता दें कि मदरसों और समान्य विद्यालयों के लिए अलग अलग नियम और कायदे हैं। सरकार मदरसों को कई तरह की छूट, रियायत और अनुदान देती है। जबकि अन्य निजी स्कूलों के लिए काफी अहर्ताएं है। निजी स्कूलों को कोई छूट, अनुदान नहीं मिलता। साथ ही स्कूल के लिए बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर, मैदान अनिवार्य है। जबकि कई मदरसे अनुदान के चक्कर में केवल कागजों पर चल रहे हैं और एक एक कमरे में कई बच्चों के साथ संचालित हो रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग पूर्व में इसकी जानकारी सरकार को दे चुका है।