India News(इंडिया न्यूज़), Carry Bag Charge Fine: राजधानी दिल्ली में एक दुकान को ग्राहक से कैरी बैग के लिए 7 रुपये मांगना महंगा पड़ गया। ग्राहक को यह पसंद नहीं आया और उसने इसकी शिकायत उपभोक्ता अदालत में कर दी। कोर्ट ने अब दुकान को इस कृत्य के लिए 3,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं, कोर्ट ने उक्त दुकानदार को कैरी बैग के लिए वसूले गए 7 रुपये भी लौटाने को कहा है। उपभोक्ता अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जिस कैरी बैग को ग्राहक ने खुद से नहीं खरीदा है, उसके लिए अलग से पैसे नहीं लिए जा सकते। आपको बता दें कि यह एक फैशन ब्रांड का आउटलेट था जहां ग्राहक शॉपिंग के लिए गए थे।
उपभोक्ता अदालत ने ग्राहक का समर्थन करते हुए कहा कि अदालत का मानना है कि दिल्ली का यह लाइफस्टाइल स्टोर कैरी बैग के लिए पैसे नहीं ले सकता। वो भी तब, जब ग्राहक ने उसे खरीदा ही नहीं। कोर्ट ने आगे कहा कि अगर स्टोर से सामान खरीदने के बाद ग्राहक से कैरी बैग के लिए पैसे वसूले जा रहे हैं तो यह कहीं न कहीं सेवा में कमी है। इसलिए, लाइफस्टाइल स्टोर को आदेश दिया जाता है कि वह ग्राहक को पाउच के लिए वसूले गए 7 रुपये वापस करे और उसे हुई असुविधा के लिए 3000 रुपये का मुआवजा दे, जिसमें मुकदमेबाजी की लागत भी शामिल है।
उपभोक्ता अदालत ने कहा कि दुकान ने शायद बैग के लिए पैसे इसलिए लिए क्योंकि बैग महंगा था और सरकार ने प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया है। कोर्ट ने आगे कहा कि दुकान ने ग्राहकों को बिना बताए ये पेपर बैग अपनी तय कीमत पर ही दे दिए। इससे ग्राहकों को परेशानी होती है। साथ ही उनके अधिकारों का भी हनन होता है। उन्हें यह चुनने का अधिकार है कि वे किस दुकान से खरीदारी करें। डी.सी.डी.आर.सी ने बिग बाजार से जुड़े एक मामले में 2020 के राष्ट्रीय उपभोक्ता निवारण आयोग के लेख का हवाला देते हुए कहा कि कैरिज बैग के लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाया जा सकता है, खासकर बिना बताए। इसमें कहा गया है कि ग्राहक को कैरी बैग की जरूरी जानकारी जैसे उसके स्पेसिफिकेशन और कीमत जानने का अधिकार है।
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