आज कल की भागदौड़ से भरी जिंदगी में कब बिमारी इन्सान के शरीर में अपना घर बना ले ये किसी को पता तक नही चलता है। इसका मुख्य कारण गलत खान-पान और रहन-सहन है। गलत आदतों की वजह से कम उम्र में बालों का रंग सफेद होना शुरू हो जाता है। आजकल अधिकांश लोगों में 25 से 30 साल की उम्र में ही बाल सफेद होने लगे हैं। उम्र बढ़ने के साथ बालों का सफेद होना स्वभाविक प्रक्रिया है। लेकिन इतने कम उम्र में ऐसा हो जाए तो यह चिंता का विषय बन जाता है ।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट नैचरल मेडिसिन में प्रकाशित लेख के मुताबिक जब शरीर बेहद तनाव में होता है, तो इससे वो सेल्स कम होने लगते हैं, जो हेयर कलर के लिए जिम्मेदार होते हैं। वहीं एक अन्य स्टडी के मुताबिक, स्ट्रेस के कारण सेल को रिजनरेट होने में भी ज्यादा समय लगता है। जिससे बॉडी फ्री रैडिकल्स से अच्छे से लड़ नहीं पाती है। ये स्थिति न सिर्फ बालों को जल्दी सफेद करने लगती है बल्कि चेहरे पर भी एजिंग के साइन्स दिखने लगते हैं।
आपको बता दे कि बढ़ते केमिकल का इस्तेमाल बालों पर विशेष प्रभाव डालता है । जिसकी वजह से बाल बेजान हो जाते हैं । साथ ही साथ उनका झड़ना भी बढ़ जाता है। ये उम्र से पहले ही लोगो में गंजापन भी कारण बनता है। इसका बेहतर विकल्प यही है कि नैचुरल या फिर कम केमिकल्स वाले हेयर कलर का ही इस्तेमाल करें।
डाॅक्टर का कहना है कि अगर किसी हेल्थ प्रोब्लम की वजह से बाल सफेद हो रहे हैं तो उसका इलाज किया जा सकता है। अगर बालों के सफेद होने का कोई कारण पता नहीं चलता तब एक दवाई दी जाती है लेकिन इसके साइड इफेक्ट बहुत है, इसलिए बिना डॉक्टरों की सलाह से इसे नहीं ली जानी चाहिए। इसके अलावा एक लीक्विड वाली दवा या स्प्रे या लोशन भी होता है। जिसे सफेद बालों में लगाया जाता है। इसके अलावा कुछ जेल भी बाजार में आते हैं। लेकिन इन लोशन या स्प्रे को लेकर कोई साइंटिफिक प्रूव नहीं है। ये सब सिर्फ दावा करते हैं लेकिन वैज्ञानिक तरीके से इसका कोई सत्यापन नहीं हुआ है। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि इन दवाइयों से सफेद बाल काले हो जाएंगे।
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