India News(इंडिया न्यूज़), AIIMS: भारत में प्रदषण बढ़ता जा रहा है। वायु प्रदूषण के कारण लोग कई तरह की बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। प्रदूषण के कारण फेफड़ों का कैंसर हो रहा है। चिंता की बात यह है कि जो लोग सिगरेट नहीं पीते वे भी फेफड़ों के कैंसर का शिकार हो रहे हैं। इस बात की जानकारी एम्स के डॉक्टरों ने दी है।
हमारे आसपास प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ता जा रहा है कि प्रदूषक तत्वों के कारण आम लोग तेजी से फेफड़ों के कैंसर का शिकार हो रहे हैं। एम्स नई दिल्ली में पल्मोनोलॉजी और स्लिप मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ। अनंत मोहन ने कहा कि आसपास के वातावरण में प्रदूषक तत्वों की वृद्धि इतनी हो गई है कि जो लोग सिगरेट नहीं पीते हैं वो भी फेफड़ों के कैंसर की चपेट में आ रहे है।
एम्स (AIIMS) के पल्मोनोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर करण मदान ने कहा कि हाल के दिनों में देखा गया है कि दिल्ली और आसपास के जिन इलाकों में वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा है, वहां के अस्पतालों में लोग सांस लेने में तकलीफ की शिकायत लेकर आते हैं। उन्होंने कहा कि यहां निजी और सरकारी दोनों अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है। यह बताने के लिए काफी है कि किसी तरह दिल्ली और एक दूसरे के बीच माहौल खराब हो गया है।
एम्स (AIIMS) के पल्मोनोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर विजय हाड़ा ने बताया कि कई मरीज जिन्हें पहले सांस लेने में दिक्कत थी, इलाज के बाद उनकी स्थिति सामान्य हो गई। हाल के दिनों में उनकी हालत पहले से भी ज्यादा खराब हो गई है। उन्होंने कहा कि ऐसे मरीजों को इनहेलर देना पड़ता है। कुछ मरीजों में अस्थमा के लक्षण भी दिखाई देते हैं।
डॉ अनंत मोहन ने कहा कि कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि मरीज लंबे समय तक संक्रमण से पीड़ित रहता है। उन्होंने कहा कि भारत में नवंबर महीने से जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है, ऐसी बीमारियों का असर भी काफी दिखने लगता है। हालांकि, कुछ मामलों में देखा गया है कि लोग कुछ ही दिनों में ठीक हो रहे हैं। इससे बचने के लिए लोगों को खुद ही सावधानी बरतनी होगी।
डॉ अनंत मोहन ने कहा कि हालांकि हम वुहान के हालात पर नजर बनाए हुए हैं। जहां तक सांस लेने में दिक्कत वाले मरीजों की संख्या का सवाल है तो यह तेजी से बढ़ी है। इसके बावजूद चीन से मिल रही जानकारी के मुताबिक कोई नया नोवल वायरस नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले यह बच्चों और फिर अन्य आयु वर्ग के लोगों को अपना शिकार बना रहा है। ऐसे में हम वहां की हर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और वहां से जो जानकारी मिल रही है उसके आधार पर उसका आकलन कर रहे हैं।
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