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आजादी की गुमनाम नायिका सरस्वती राजमणि पर 10 साल की बच्ची ने लिखी किताब

• LAST UPDATED : August 14, 2022

इंडिया न्यूज़, Bhopal News : हम आजादी के 75 साल पूरे कर रहे हैं और देश ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है। यह स्वतंत्रता वर्षों के संघर्ष, समर्पण, वीरता और बलिदान के कारण प्राप्त हुई है। इसमें कई ऐसे क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान शामिल हैं। देश के लिए अपनी जान खतरे में डालने वाली एक शख्सियत पर 10 साल की दो बेटियों ने किताब लिखी है।

देवयानी और शिवरंजनी जुड़वां बहनें हैं

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज इन बेटियों के साथ पौधारोपण कर लिखी पुस्तक ‘सरस्वती राजमणि-एक भूली-बिसरी जासूस’ का विमोचन किया। मुख्यमंत्री चौहान ने दोनों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं और आशीर्वाद दिया। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ में देवयानी और शिवरंजनी ने अपनी किताब के जरिए भारत की सबसे कम उम्र की महिला जासूस सरस्वती राजमणि का परिचय कराया। देवयानी और शिवरंजनी जुड़वां बहनें हैं।

साल 2021 में इन लड़कियों की पहली किताब ‘सूर्य नमस्कार’ प्रकाशित हुई थी

महज 10 साल की उम्र में उन्होंने आजाद हिंद फौज की जासूस सरस्वती राजमणि पर सचित्र किताब लिखी है। इसकी सभी तस्वीरें दोनों लड़कियों ने मिलकर बनाई हैं। देवयानी और शिवरंजनी कहती हैं। ‘जिस समय देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। हमें उन लोगों को भी याद करना चाहिए। जिनके बारे में ज्यादा कुछ लिखा या पढ़ा नहीं गया है। जिनका आजादी पाने में अहम योगदान है। लेकिन हम नहीं जानते।’ साल 2021 में इन लड़कियों की पहली किताब ‘सूर्य नमस्कार’ प्रकाशित हुई थी।

सरस्वती राजमणि का जन्म बर्मा में एक संपन्न और देशभक्त परिवार में हुआ था

जिसे देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री ने सराहा था। सरस्वती राजमणि आजाद हिंद फौज की जासूस थीं और बहुत कम उम्र में एक गुमनाम क्रांतिकारी थीं। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बहुत प्रभावित किया था और अंग्रेजों के लिए एक बड़ा खतरा था। सरस्वती राजमणि का जन्म बर्मा में एक संपन्न और देशभक्त परिवार में हुआ था। जब वह 16 साल की थीं। तो वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाषण से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने अपने सभी गहने आजाद हिंद फौज को दान कर दिए।

राजामणि के हौसले और जज्बे को देखकर नेताजी ने उन्हें सेना का हिस्सा बना लिया। इस दौरान कई मौकों पर उन्होंने अपना पराक्रम दिखाया लेकिन अपने ही देश में सम्मान नहीं पा सकी। देवयानी और शिवरंजनी का कहना है कि सरस्वती राजमणि का जीवन युवा भारतीयों को देशभक्ति, समर्पण, बहादुरी, निष्ठा, दानशीलता और बिना किसी डर के अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करता है।

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