बालाघाट: बालाघाट मे कई इलाके ऐसे हैं जहां पर विपरीत परिस्थितियों की वजह से जनसुविधाओं का अभाव अक्सर बना रहता है। ऐसे में दुर्गम जगहों पर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंतनीय बनी रहती है। कुछ ऐसे ही हालात बालाघाट के नक्सल प्रभावित सोनेवानी पुलिस चौकी के आसपास के लगभग 19 ग्रामीण इलाकों में हैं। जहा स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच आम आदमी तक पर्याप्त नहीं है। लेकिन इन क्षेत्रों में ग्रामीणों की सेहत को दुरुस्त रखने का बीड़ा सीआरपीएफ 123 ने उठायी है। जिनके द्वारा आदिवासी ग्रामीणों को स्वास्थ सुविधा के तौर पर तत्काल लाभ देने के लिए एक नई और अनूठी पहल करते हुए बाईक एम्बुलेंस उपलब्ध करा रही है।
जंगलों में सदियों से यहां के बाशिंदे आदिवासी निवास कर कर रहे हैं गुजर-बसर
बता दे की बालाघाट के दक्षिण बैहर जो आदिवासी क्षेत्र के लिए जाना जाता हैं, जहा पर प्राकृतिक की अनमोल धरोहर घने और खूबसूरत जंगलों व पहाड़िया है। इन्ही जंगलों में सदियों से यहां के बाशिंदे आदिवासी निवास कर गुजर-बसर कर रहे हैं। जंगल से इन आदिवासियों की जरूरतें पूरी होती है और आदिवासियों की वजह से वनों की सेहत भी दुरुस्त है। लेकिन पिछले 3 दशक से नक्सलियों की दहशत से इन जंगलों की शांति भंग हुई हैं। जिसके कारण इन स्थानों पर सडक, बिजली पानी व स्वास्थ की मुलभुत सुविधा भी प्रभावित हुई हैं। इसी मे सोनेवानी पुलिस चौकी के आसपास लगभग 19 गांव हैं। जहा कुछ गांव बहुत ही दुरस्त व पहुंच विहीन है। जिससे वहा मोबाइल नेटवर्क तक की सुविधा बहुत कमजोर हैं।
दूसरी ओर नक्सलियों पर लगाम लगाने के लिये इस इलाके में सीआरपीएफ 123 की बटालियन को तैनात किया गया है। जो समय समय पर नक्सली गतिविधियों को लेकर मोर्चा संभालती है। सीआरपीएफ ने इस समय अपने दायरे को सामाजिक सरोकारों से भी जोड़ने की पहल की है।
दुर्गम इलाकों के लिये बाइक एंबुलेंस सेवा शुरू
बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की कमी व समय पर उपलब्ध नहीं होने से जानमाल को नुकसान पहुँचता हैं। इस तैनाती के दौरान सीआरपीएफ ने भी ऐसा ही आकलन किया। रुपझर थाना के अंतर्गत आने वाली सीआरपीएफ की 123वीं बटालियन ने सोनेवानी पुलिस चौकी के आसपास प्रभावित 19गांव के लिए स्वस्थ सेवा की उपलब्धता कराने एक अनूठी सेवा शुरू की है। इन दुर्गम इलाकों के लिये बाइक एंबुलेंस सेवा शुरू की है, जो बाइक के जरिये मरीज को नजदीक के अस्पताल पहुचाएगी।
ग्रामीणों को इलाज के लिये अस्पताल पहुंचाना है सेवा का मकसद
इस सेवा का मकसद समय पर नक्सल प्रभावित इलाकों के ग्रामीणों को इलाज के लिये अस्पताल पहुंचाना है। सीआरपीएफ की इस बाइक एंबुंलेंस सेवा का लाभ ग्रामीण विपरीत स्थिति बनने पर वह तत्काल अपने साथ ले जा सकेंगे। मरीज का उपचार के बाद उस बाईक एम्बुलेंस को वापिस सीआरपीएफ कैम्प मे जमा कर देंगे। इसके साथ ही जवान भी कभी कभी इस सुविधा उपलब्ध करने मौजूद रहेंगे।
गाड़ी में पीछे मरीज के लिए लगाई गयी है शीट
इसकी खासियत हैं की इसे मोटरसाइकल में उपलब्ध कराई गई हैं। जिसमे एंबुलेंस की तरह ही लाइट और सायरन लगाया गया है साथ ही इसमें तत्काल उपचार के लिए कुछ दवाएं,पट्टी मलम जैसी चीज एक बॉक्स में रखी गई है। इस गाड़ी में ही पीछे मरीज के लिए शीट लगाई गयी है। जिसमे बकायदा शीट बेल्ट लगाया गया है। जिससे की मरीज आसानी से बैठ सके उसे किसी तरह की परेशानी न हो। अगर मरीज ज्यादा सेंसेटिव एरिया से है तो उन्हे यह गाड़ी दे दी जाएगी जिससे की वह अपने परिजन को अस्पताल तक पहुंचा सके। बता दे की सीआरपीएफ क्षेत्र मे सिविक एक्शन कार्यक्रम कर गरीब आदिवासियों की मदद करती है।