इंडीया न्यूज़। डिंडौरी। आफिस में काम करते हुए बीमार होना बहुत ही आम बात है। जिसके लिए छुट्टी लेना भी कोई गलत बात नहीं है। लेकिन जब आपका काम आपका जुनून बन जाए। तो गंभीर बीमारी भी छोटी और काम बड़ा लगने लगता है।
ऐसी ही एक कहानी है डिंडौरी जिले के शिक्षक संजय कुमार मरावी की है। जिनकी दोनों किडनियां खराब हो गई हैं। लेकिन उसके बावजूद भी उन्हें काम का ऐसा जूनून है। जिसकी गाथा पढ़कर आप भी हैरान रह जाएंगे।
डिंडौरी जिले के संजय कुमार जिन्हें डॉक्टर्स ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है और बेड रेस्ट लिखा है। लेकिन उसके बावजूद भी वो रोजाना स्कूल पहुंच जाते हैं। और न सिर्फ बच्चों को पढ़ाते हैं बल्कि पढ़ाई के दौरान ये जरा भी अहसास नहीं होने देते कि वो बीमार भी हैं। वो कहते हैं- मेरी जिंदगी से ज्यादा जरूरी बच्चों का भविष्य है, बच्चे इस देश का भविष्य है। बच्चे भी उनकी तबियत ठीक होने के लिए रोजाना स्कूल में रोजाना प्रार्थना करते हैं। पूरे स्कूल के आध्यापक भी उन से प्रेरणा ले रहे है और शिक्षक की र्चाचा चारों तरफ हो रहीं है।
संजय को डॉक्टर ने सलाह दी कि अब कंप्लीट बेड रेस्ट कीजिए। संजय कहते हैं- कुछ दिनों के बेड रेस्ट में ही महसूस होने लगा कि मैं और भी ज्यादा बीमार हो रहा हूं, मै आपने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नही कर सकता। इधर बच्चों की पढ़ाई पिछड़ रही थी इसलिए मैंने फैसला लिया कि अब जो भी हो, बच्चों का कोर्स समय पर पूरा कराऊंगा। ताकि उनका भविष्य न बिगड़े। उसके बाद ही इलाज के लिए जाऊंगा।
बच्चें कहते हैं कि सर हिंदी बहुत अच्छे तरीके से पढ़ाते हैं। बच्चों को जब से पता चला है कि सर की दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं तब से सभी बच्चों मे मायूसी छाई हुई है। इसके बाद भी सर स्कूल पढ़ाने आ रहे हैं। बच्चों ने कहाँ हम ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि सर जल्दी ठीक हो जाएं। हमने सर से कोर्स अधूरा छोड़ने का आग्रह भी किया था। हम सब बच्चों ने मिलकर सर से कहा था कि आप उपचार कराइए हम कोर्स खुद पढ़ लेंगे। लेकिन सर नही माने। सभी छात्र शिक्षक के जल्द ठीक होने की कामना कर रहें है।
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