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अस्पतालों की जांच के लिए महीने भर का अभियान शुरू

• LAST UPDATED : August 7, 2022

इंडिया न्यूज़,Bhopal News: जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल में आग लगने की घटना के बाद राज्य भर के अस्पतालों और नर्सिंग होम की जांच के लिए एक माह का अभियान चलाया जाएगा। जानकरी के मुताबिक, सभी जिलों के कलेक्टर, नगर आयुक्त, सीएमएचओ और मुख्य विद्युत एवं सुरक्षा निरीक्षक को नर्सिंग होम की जांच के आदेश दिए हैं।

10 अगस्त से की जाएगी जांच शुरू 

जिलों में नर्सिंग होम की संख्या के अनुसार 10 अगस्त से जांच टीम बनाकर जांच शुरू की जाएगी। इस जांच दल में डॉक्टरों के साथ-साथ नगर निगम और बिजली विभाग के कर्मचारी भी शामिल होंगे। 1 अगस्त तक निरीक्षण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। एसीएस के आदेश के बाद भोपाल के सीएमएचओ ने आठ जांच टीमों का गठन किया है। इनमें एक डॉक्टर के साथ एक सहायक और नगर निगम के दमकल अधिकारी को भी शामिल किया गया है।

हर जांच टीम को एक ही फॉर्म पर जांच रिपोर्ट देनी होगी

एसीएस हेल्थ ने नर्सिंग होम के जाँच का प्रारूप तैयार किया है। सभी जिलों की हर जांच टीम को एक ही फॉर्म पर जांच रिपोर्ट देनी होगी। जाँच के बाद टीम को अपनी रिपोर्ट सीएमएचओ को देनी होगी। कमियां पाए जाने वाले अस्पतालों को तुरंत नोटिस जारी किया जाएगा। कारण बताओ नोटिस के साथ जाँच रिपोर्ट की एक प्रति भी संलग्न की जाएगी। इसमें जांच के दौरान मिली खामियां भी बताई जाएंगी।

नोटिस की एक प्रति ईमेल, व्हाट्सएप के माध्यम से भेजी जाएगी

जाँच के दौरान सीएमएचओ के माध्यम से उन अस्पतालों के संचालकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाएंगे जहां अग्नि सुरक्षा और विद्युत सुरक्षा ठीक से नहीं पाई जाती है। नोटिस की एक प्रति ईमेल, व्हाट्सएप के माध्यम से भेजी जाएगी। एक माह में जवाब नहीं देने पर कार्रवाई की जाएगी। उत्तर संतोषजनक नहीं पाये जाने पर नर्सिंग होम के संचालक के विरुद्ध स्पीकिंग आदेश जारी कर नर्सिंग होम का पंजीकरण निरस्त कर दिया जायेगा।

नगर निगम के अधिकारी को भी शामिल किया गया

निजी नर्सिंग होम में अग्नि सुरक्षा और इमरजेंसी निकास की व्यवस्था को देखते हुए नगर निगम से अस्थाई फायर एनओसी लेना आवश्यक है। एसीएस के आदेश के बाद सीएमएचओ डॉ ने आठ जांच टीमों का गठन किया है। वे रोजाना अस्पतालों में जाकर अपनी रिपोर्ट देंगे। एक माह में भोपाल के सभी 300 नर्सिंग होम की जाँच कर रिपोर्ट विभाग को भेजनी होगी। इसमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ नगर निगम के अधिकारी को भी शामिल किया गया है।

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