India News (इंडिया न्यूज़), Caste Census: मध्यप्रदेश का यह चुनावी साल है। अगले साल लोकसभा चुनाव होना है। जिसके लिए तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। इसी बीच देश में जातीगत जनगणना की मांग भी तेज होती जा रही है। अभी बिहार के पटना में जनवरी महीने में यह जणगणना शुरु की गई थी, लेकिन पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद इसे मई महीने में रोक दिया गया। इसी बीच मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीते रविवार को घोषणा किया कि अगर उनकी सरकार आती है तो जातीगत जनगणना कराया जाएगा। जिसके बाद से इस मुद्दें पर सियासत शुरु हो गई है।
बता दें कि पिछले दिनों इंडिया गठबंधन के बैठक में इस मुद्दे पर बात चली थी। ऐसे में यह सवाल आता है कि जातिगत जनगणना आखिर इतना जरुरी क्युं हैं। साथ ही क्या राज्य स्तर पर जातीगत जनगणना सही है। आपको बता दें कि बीते रीविवार को रविंद्र भवन में मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग संयुक्त मोर्चा का महासम्मेलन आयोजित किया गया था। इसी सम्मेलन में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में 55 % लोग पिछड़ा वर्ग की आबादी से आतें हैं।
यही कारण है कि भाजपा जनगणना करवाने से पिछे हट रही है। अगर यह जातिगत जनगणना कराई गई तो सरकार के सच लोगों के सामने आ जाएंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जैसे हीं हमारी सरकार बनेगी। हम जनगणना करवाएंगे। जिससे की पता चल सके की हमारे समाज में कीतने प्रतिशत लोगों के पिछड़े समाज से आतें हैं। जिससे की आरक्षण देकर उनके साथ न्याय किया जा सके।
आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी की ओर से ‘जितनी आबादी,उतना हक’ का भी नारा दिया गया है। देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी इस मुद्दे की मदद से सारी पार्टीयों को एक करने में लगी है। इनके समर्थन में सपा, बसपा, राजद, जदयू, डीएमके जैसी कई अनेक पार्टीयां खड़ी है। सारी पार्टीयों का कहना है कि जातिगत जनगणना कर के जरुरतमंदों को उसकी जरुरत की चीजें उपलब्ध कराई जाएगी। सामाजिक न्याय पर राजनीति की रफ्तार काफी तेज होती जा रही है।
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