Code of Conduct: आचार संहिता लागू होने के बाद राजनीतिक पार्टियों नहीं कर सकेंगी ये काम, जानें नियम व कानून

India News(इंडिया न्यूज), Code of Conduct: देश के 5 राज्यों मे इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव है। किसी भी राज्य में चुनाव होने से पहले एक अधिसूचना जारी की जाती है। इसके बाद उस राज्य में ‘आदर्श आचार संहिता’ लागू हो जाती है और नतीजे आने तक जारी रहती है। तो आपको बताते है कि आदर्श आचार संहिता क्या होती है? इसे कौन लागू करता है? इसके नियम-कायदे क्या हैं?

बता दें कि आचार संहिता लगने पर मध्यप्रदेश में किन सरकारी और राजनीतिक कार्य पर पाबंदी हो जाएगी और किस पर नहीं, साथ ही आचार संहिता के उल्लंघन पर निर्वाचन आयोग और उसके नुमाइंदे क्या कार्यवाही कर सकते है।

क्या है आचार संहिता

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग द्वारा कुछ नियम बनाए जाते हैं। इन नियमों को ही आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान सभी पार्टियों, नेताओं और सरकारों को इन नियमों का पालन करना होता है।

कब हुई शुरूआत

आचार संहिता की सबसे पहले शुरुआत साल 1960 में केरल विधानसभा चुनाव में हुई थी, जिसमें इसके तहत बताया गया कि उम्मीदवार क्या कर सकता है और क्या नहीं फिर इसके बाद 1962 में हुए लोकसभा चुनाव में पहली बार चुनाव आयोग ने इस संहिता के बारे में सभी राजनीतिक पार्टियों को भी अवगत कराया। साल 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने सभी सरकारों से इसे लागू करने के लिए कहा और यह सिलसिला अब आज भी जारी है।

नियम व कानून

  • चुनाव प्रचार के दौरान, कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा।
  • जो आपसी नफरत पैदा कर सकता है या विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाई के बीच तनाव पैदा कर सकता है। असत्यापित आरोपों या विरूपण के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचना चाहिए।
  • आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार किसी नई योजना और नई घोषणाएं नहीं कर सकती और कोई भूमि पूजन और लोकार्पण भी नहीं हो सकता है।
  • चुनावी तैयारियों के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता, जैसे सरकारी गाड़ी, बंगला, हवाई जहाज आदि।
  • आचार संहिता लागू होते ही दीवारों पर लिखे गए सभी तरह के पार्टी संबंधी नारे व प्रचार सामग्री होर्डिंग, बैनर व पोस्टर हटा दिए जाते हैं।
  • राजनीतिक दलो को रैली, जुलूस या फिर मीटिंग पर रोक लग जाती है।
  • धार्मिक स्थलों और प्रतीकों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान नही किया जाता।
  • मतदाताओं को वोट हासिल करने के लिए रिश्वत नहीं दी जा सकती है।
  • किसी भी प्रत्याशी या पार्टी पर निजी हमले नहीं करवा सकते है।
  • वोटरों को लाने के लिए मतदान केंद्रों पर गाड़ी मुहैया नहीं करवा सकते है।
  • मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित नही की जा सकती है।

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Roshani Rathore

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