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केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल मना रहा है 84वां स्थापना दिवस, मध्यप्रदेश में हुई थी सीआरपीएफ की स्थापना

• LAST UPDATED : July 27, 2022

इंडिया न्यूज़ ; CRPF Celebrating 84th Raising Day: एक लोकतान्त्रिक व्यवस्था में राष्ट्रहित, जनकल्याण और सामाजिक संतुलन को बनाये रखने के लिए कानून के निर्माण की ज़िम्मेदारी व्यवस्थापिका की होती है तो उसको लागू कर संचालन करने का काम कार्यपालिका करती है, और उन सभी कानूनों का अक्षरशः पालन कराने एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने की एक अहम् ज़िम्मेदारी पुलिस के कन्धों पर होती है।

भारत के सभी प्रदेशों और केंद्र शासित राज्यों के पास अपनी पुलिस व्यवस्था है, जो प्रदेश में कानून व्यवस्था को संभालने का काम करती है। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार के आधीन अलग केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों व्यवस्था होती हैं, ये पुलिस बल आवश्यकता अनुसार देश के किसी भी कोने में जाकर विपरीत स्थितियों को संभालते हैं। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल सबसे बड़ा है।

अन्य केंद्रीय पुलिस बलों की तरह सीआरपीएफ भी केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है। सीआरपीएफ की मुख्य भूमिका राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस कार्रवाई में उनकी सहायता करना, कानून-व्यवस्था बनाने और आतंकवाद निरोधी गतिविधियों को अंजाम देना है।

मध्यप्रदेश में हुई थी सीआरपीएफ की स्थापना

इस वर्ष 27 जुलाई 2022 को सीआरपीएफ अपना 84वां स्थापना दिवस मना रहा है। सीआरपीएफ का इतिहास भी काफी दिलचस्प है, यह सशस्त्र पुलिस बल मध्यप्रदेश के नीमच की पावन माटी पर ब्रिटिश काल में सीआरपी यानी क्राउन प्रतिनिधि पुलिस के रूप में 27 जुलाई 1939 को अस्तित्व में आया था।

देश की आज़ादी के बाद देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इसकी सेवाओं को कायम रखते हुए इसका नाम बदल कर सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स कर दिया था और 19 मार्च, 1950 को सीआरपीएफ अधिनियम के लागू होने पर यह पुलिस बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल बन गया। 230 बटालियनों और विभिन्न अन्य प्रतिष्ठानों के साथ, केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल भारत का सबसे बड़े अर्धसैनिक बल माना जाता है।

शूर वीरों की भूमि के नाम से प्रसिद्द मध्यप्रदेश के नीमच को ब्रिटिश राज के दौरान उत्तर भारत का सैन्य घुड़सवार सेना मुख्यालय भी बनाया गया था। भारत की आज़ादी के लिए सन् 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश पुलिस को परास्त कर इस सैन्य छावनी पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद उन्होंने भी इस छावनी को स्वतंत्राता के आंदोलन के लिए अपना हेडक्वाटर बना लिया था। लेकिन कुछ ही समय में फिर से ब्रिटिश सेना ने फिर से हमला किया जिसमें सभी क्रांतिकारी शहीद हो गए। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने फिर से इस छावनी पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया था।

अंग्रेजों ने किया था नीमच का नामकरण

ऐतिहासिक विरासतों से परिपूर्ण मध्यप्रदेश में कई ऐसे रोचक तथ्य हैं जो आज की युवा पीढ़ी को रोमांचित कर देते हैं। ऐसा ही एक तथ्य है कि, नीमच को आज हम जिस नाम से जानते हैं, वह नाम ब्रिटिश सरकार द्वारा ही रखा गया था। उत्तर भारत की एक महत्वपूर्ण सैन्य छावनी होने के कारण अंग्रेज़ों ने इसे NIMACH नाम दिया था, जिसका मतलब है – नॉर्थ इंडिया मिलिटरी एंड केवल्री हेडक्वाटर्स। ख़ास बात यह है कि स्वतंत्रता के 75 वर्षों बाद भी भारत सरकार ने कभी इसके नाम में कोई बदलाव नहीं किया। सीआरपीएफ जवानों के लिए नीमच एक विशेष महत्व रखता है।

देश की आंतरिक सुरक्षा में सीआरपीएफ की भूमिका

आज केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल एक विशाल पेड़ की तरह देश के हर कोने को छाया और सुरक्षा दे रहा है। सीआरपीएफ की प्राथमिकता देश के राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को सहयोग करना है। किसी भी आतंकी गतिविधि, दंगे और आपदाओं से शीघ्रता से निपटने के लिए इस सैन्य संगठन के सिपाहियों को बुलाया जाता है। इसके साथ ही इन जवानों को ख़ास हस्तियों की सुरक्षा में भी तैनात किया जाता है। सीआरपीएफ जवानों के केंद्र, देश भर में स्थापित हैं, जिसके कारण किसी भी आवश्यकता की स्थिति में ये जवान भारत के किसी भी कोने में कम से कम समय में अपनी सेवाएं देने पहुंच जाते हैं।

आतंकियों को गिरफ्तार करना या उनको ढेर करना, उग्रवाद से निपटना, चुनावों के दौरान संवेदनशील स्थानों में सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखना, पर्यावरण के हनन को रोकना और उसकी निगरानी करना, प्राकृतिक आपदाओं में बचाव व रहत कार्य करने के साथ ही हवाई अड्डों, सरकारी भवनों, पावरहाउस, दूरदर्शन केंद्रों, राजयपाल, और मुख्यमंत्रियों के आवासों आदि अहम् स्थानों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी इसी शस्त्र सुरक्षा बल के कन्धों पर होती है। बेहद संवेदनशील क्षेत्रों में इन जवानों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

मध्यप्रदेश का नीमच शहर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है। अपने पूरे सेवा काल में सीआरपीएफ का लगभग हर जवान एक बार नीमच का भ्रमण ज़रूर करता है। सुरक्षा बल के जन्मस्थल के रूप में प्रसिद्ध नीमच में आकर सीआरपीएफ के जवान एक नए जोश से भर जाते हैं और सुरक्षा बल के उन शूर वीरों की विजय गाथाओं को आत्मसात कर देश की सेवा के लिए फिर से निकल पड़ते हैं जिनके अभूतपूर्व साहस, पराक्रम और बलिदान की मजबूत नींव पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल हर विपदा को परास्त करने के लिए एक कठोर चट्टान के समान अडिग खड़ा है।

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