India News(इंडिया न्यूज़), Dr S Jaishankar: केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कूटनीतिक स्थितियों को समझाने का अनोखा उदाहरण दिया। विदेश मंत्री ने महाकाव्य रामायण की उपमाएँ दीं। उनका कहना है कि राष्ट्रों की परीक्षा उनके पड़ोसी देशों द्वारा की जा सकती है, जैसे कि परशुराम ने भगवान राम की परीक्षा ली थी। आगे उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह भगवान राम को लक्ष्मण की जरूरत थी, उसी तरह हर देश को एक मजबूत, लगभग भाईचारे वाली दोस्ती की जरूरत है।
आर्थिक और वैज्ञानिक मोर्चे पर तेजी से विकास कर रहे भारत के आसपास रहने वाले पड़ोसियों की सुरक्षा का जिक्र करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि वर्तमान समय में भारत की बदलती वैश्विक स्थिति महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आज भारत के पड़ोसी अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं और भारत के प्रति उनका विश्वास और सम्मान बढ़ा है। उन्होंने वैश्विक महामारी कोरोना का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय भी दुनिया में भारत के प्रति यही आस्था दिखी।
उन्होंने कहा था कि अगर मैं क्वाड की बात करूं तो इसकी तुलना दशरथ के चार पुत्रों राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न से की जाएगी। जब राम को वनवास भेजा गया तो लक्ष्मण भी उनके साथ गये। बाकी दोनों भाई राम और लक्ष्मण से मिलने वन में गये थे। उनके बीच एक समानता थी, जो उन्हें जोड़ती थी। यही हाल क्वाड का भी है. हम अलग होते हुए भी साथ हैं. यही हमारे क्वाड की खासियत है।
भारत को वैश्विक स्तर पर भी कई मोर्चों पर परीक्षण की घड़ी का सामना करना पड़ा है। इसका जिक्र करते हुए जयशंकर ने एक बार फिर रामायण का जिक्र किया और कहा कि सभी देशों को अपने पड़ोसी देशों की उसी तरह परीक्षा लेनी चाहिए, जैसे परशुराम ने भगवान राम की परीक्षा ली थी। उन्होंने कहा कि जब देश विकसित होते हैं तो उनके साथ ऐसा ही होता है। अपना ही देश ले लीजिए। अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था के कारण हम इस कठिन परीक्षा में सफल हुए।’ हमने परमाणु परीक्षण कर दूसरा परीक्षण पास कर लिया। हमें भी राम की तरह परीक्षा देनी होगी। जिस प्रकार परशुराम ने राम की परीक्षा ली थी।
इससे पहले भी जयशंकर कई मौकों पर रामायण का जिक्र कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी किताब ‘व्हाई इंडिया मैटर्स’ पर चर्चा के दौरान कहा था कि रामायण में कई महान राजनयिक हुए हैं। हमने राम और लक्ष्मण के रूप में एक बेहतरीन साझेदारी भी देखी है।’ रामायण में कई उत्कृष्ट कूटनीतिज्ञ थे। हर कोई हनुमान की चर्चा करता है। लेकिन अंगद भी वहीं थे। कूटनीतिक स्तर पर सभी ने योगदान दिया है। भारत में हम राम-लक्ष्मण की जोड़ी का नाम लेते हैं। इसका मतलब है दो भाई जो कभी अलग नहीं होंगे। वैसे ही देशों को भी ऐसे ही अटूट रिश्तों की जरूरत है।
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