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Duo Euthanasia: ’70 साल की मोहब्बत का अंत’, पूर्व डच PM ने चुनी इच्छा मृत्यु

• LAST UPDATED : February 14, 2024

India News(इंडिया न्यूज़), Duo euthanasia: आज 14 फरवरी है, यानी वैलेंटाइन डे प्यार का दिन है। इस दिन पूरी दुनिया के प्रेमी-प्रेमिका अपने प्यार का इजहार करते हैं। इस बीच नीदरलैंड के पूर्व पीएम ड्राइस वैन एग्ट और उनकी पत्नी यूजीन ने एक साथ दोनों ने दम तोड़ दिया। दोनों प्रेमी 93 साल के थे। दोनों पति-पत्नी ‘हाथ में हाथ डालकर’ कानूनी इच्छामृत्यु से मौत हो गई है। आपको बता दें कि दोनों ने 5 फरवरी को कानूनी तौर पर इच्छा मृत्यु (एक्टिव यूथेनेसिया) चुनी थी।

एक प्रेस रिलीज के अनुसार मुताबिक, एग्ट और उनकी पत्नी दोनों मरने से पहले कुछ समय से बिगड़ते स्वास्थ्य से परेशान थे, लेकिन दोनों की मौत से 70 सालों के साथ का अंत हो गया। प्रेस रिलीज में आगे कहा गया है, “एग्ट अपनी प्यारी पत्नी यूजिनी के साथ और हाथों में हाथ डालकर मरे, जिनके साथ वह 70 साल से अधिक समय तक साथ रहे। अपनी पत्नी को वह हमेशा ‘माय गर्ल’ कह कर बुलाते थे।”

ड्राइस वैन एग्ट 1977 में बनें थे पीएम

ड्राइस वैन एग्ट 1977 और 1982 के बीच नीदरलैंड के पीएम थे। वह नीदरलैंड की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक अपील पार्टी के पहले नेता थे। द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, ड्राइस वैन एग्ट को साल 2019 में ब्रेन हैमरेज हो गया था। इसके बाद ड्राइस वैन एग्ट कभी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाए। दोनों पति-पत्नी बीमार थे, दोनों का चलना फ‍रिना भी मुश्क‍िल हो गया था। दोनों लोग एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते थे। इसी लिए दोनों ने एक साथ इच्‍छा मृत्‍यु को चुना।

इच्छा मृत्यु का चलन बढ़ रहा

रिपोर्ट के अनुसार एग्ट और उनकी पत्नी यूजीन दोनों को आसपास की कब्रों में दफनाया गया। बता दें कि नीदरलैंड में डुओ यूथेनेसिया या इंजेक्शन देकर इच्छा मृत्यु का चलन बढ़ रहा है। नीदरलैंड में हर साल लगभग 1,000 लोग मौत के लिए इच्छा मृत्यु चुनते हैं। वहीं, अकेले साल 2022 में 29 जोड़ों ने इच्‍छा मृत्‍यु का विकल्प चुना।

साल 2000 में यूथेनेसिया को कानूनी मान्यता मिली

साल 2000 में नीदरलैंड में यूथेनेसिया को कानूनी मान्यता मिली थी। इस कानून के अनुसार पीड़ित व्यक्ति 6 स्थितियों में इच्छा मृत्यु मांग सकते हैं। वो लोग इच्छामृत्यु मांग सकते हैं जो “ऐसी बीमारी से पीड़ित हों, जिसमें असहनीय पीड़ा हो, जो लाइलाइज हो या उसकी सेहत में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बची हो।”

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