बता दें मध्यप्रदेश के शहडोल जिला से इंडिया न्यूज के पड़ताल में पता चला है कि मेडिकल कॉलेज को एसईसीएल के सीएसआर मद से 2 नई एंबुलेंस तत्कालीन कलेक्टर की पहल पर मिलीं थी। जिससे की किसी भी मरीज को दर-दर न भटकना पड़े। परंतु प्रबंधन की बड़ी लापरवाही निकलकर सामने आई है।
पड़ताल में पता चला है कि उद्घाटन के बाद ये एंबुलेंस मेडिकल कॉलेज से दोबारा कभी निकला ही नहीं है। हालांकि इस मामले में जब प्रबंधन से पूछताछ की गयी तो पता चला कि लाखों की लागत से मिली एंबुलेंस के क्रियान्वयन के लिए स्टाफ खर्च मुहैया नहीं होने के कारण इन्हें उपयोग नहीं लाया गया है।
बता दें कि मेडिकल कॉलेज के गेट के सामने प्राइवेट एंबुलेंस की भरमार लगी है। जो कि मनमानी पैसा लेकर आमजन की गाढ़ी कमाई लूट रहे हैं। वहीं अगर प्रबंधन शासकीय एंबुलेंस की सुविधा मरीजों को देती है,तो इससे आमजन की गाढ़ी कमाई लूटने से बचाया जा सकता है।
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