Foundation Day: आज भारतीय जनता पार्टी का 44 वां स्थापना दिवास है। जो बीजेपी बड़े जोर-शोर के साथ मना रही है।1980 को अपनी स्थापना के बाद से BJP ने एक लंबी यात्रा तय कि है। जिसके चलेत वह आज के साथ-साथ दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में उभरी है।
दरअसल, भाजपा की यह यात्रा काफी दिलचस्प है। इस यात्रा में हार और जित दोनों का समावेश है। इस यात्रा में सत्ता परिवर्तान, अंतर कलह, इतिहास के मुख्य घटनाक्रम और भाजपा का संखनाद शामिल है। तो चलिए आपको आज भाजपा की इस संघर्ष यात्रा पर ले चलते है।
भाजपा की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई थी। पर इसको बनाने का विचार 1951 का है। जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू की कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और भारतीय जनसंघ BJS का गठन किया। पर BJS शुरूआत में कुछ ज्यादा कमाल नहीं कर पाई। 1952 के लोकसभा चुनाव में BJS केवल तीन लोकसभा सीटें जीत सकी। इसके बाद 1957 के लोकसभा चुनाव में इसे 4 सीटें हासिल हुई। इससे जनसंघ का हौंसला थोड़ा बढ़ा।
1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल घोषित कर दिया था। जिसके दौरान BJS ने जनता का कुछ आकर्षण अपनी तरफ कर लिया। जब इसके कई नेताओं को विरोध करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। अपतकाल के वापस लेने के बाद बीजेएस ने कई अन्य छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर जनता पार्टी का गठन किया। जनता पार्टी को 1977 के लोकसभा चुनाव में सफलता मिली मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बनाकर केंद्र में सरकार बनाई।
लेकिन मोरारजी देसाई को 1980 में पार्टी के भीतर हुए अंदरूनी कलह के चलते इस्तीफा देना पड़ा। जनता पार्टी 1980 में भंग हो गई। इसके सदस्यों ने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ इसके पहले अध्यक्ष के रूप में भाजपा (BJP) का गठन किया। 1984 के चुनावों में भाजपा को हार का मुहं देखना पड़ा। बीजेपी को सिर्फ 2 सींटे ही हासील हो पाई। साल 1989 में नौवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में BJP को 85 सीटें हासिल हुईं। हालांकि, 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के साथ इसका ग्राफ ऊपर चढ़ने लगा। पार्टी का प्रभाव काफी हद तक हिंदी हार्टलैंड तक ही सीमित रहा। लेकिन सीटों का ग्राफ बढ़ता रहा।
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1996 में, वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी 161 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। फिर इसने साल 1996 में 13 दिनों के लिए सरकार बनाई। 1998 में बीजेपी ने 182 सीटें जीतीं। लेकिन अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के समर्थन वापस लेने के बाद वाजपेयी सरकार 13 महीने के बाद फिर गिर गई। 1999 में फिर से लोकसभा चुनाव हुए और बीजेपी ने जीत हासिल की और अटल बिहारी वाजपेयी इस बार पूरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बने। लेकिन पार्टी ने सबसे बड़ा कमाल 2014 में दिखाया। जब लोकसभा चुनाव में पार्टी ने भारी जीत हासील की थी। जहां से प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का उदय का हुआ। अब पार्टी का विस्तार हिंदी गढ़ से परे, विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र और दक्षिण में कर्नाटक में हो रहा है।
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