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Gond painting gets GI tag: मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध गोंड पेंटिंग को मिला जीआई टैग, जनजातियों में खुशी का माहौल

• LAST UPDATED : April 11, 2023

बता दें कि मध्यप्रदेश के गोंड पेंटिंग को जीआई टैग (Geographical Indication Tag ) मिला है। इस ख़बर से जनजातियों में खुशी का माहौल है। गोंड कला लोक कला का उदाहरण है। जो कि गोंड जनजाति के कलाकारों द्वारा चित्रित की जाती है। इस पेंटिंग में गोंड कथाओं, गीतों एवं कहानियों का चित्रण किया जाता है।

  • हर घर में एक कलाकार
  • कौन देता है जीआई टैग
  • इन उत्पादों के लिए दिया जाता है टैग

हर घर में एक कलाकार

बता दें कि मध्यप्रदेंश के डिंडोरी जिले का पाटनगढ़ गांव के हर में एक कलाकार है जो कि गोंड पेंटिंग बनाते हैं। उनके इस काम के लिए उन्हें ना केवल प्रदेश के लोगों से बल्कि देश-विदेश के लोगों से भी प्रशंसा मिली है।

बता दें कि खन्नत गांव की रहने वाली आदिवासी महिला नरबदिया अरमो जो कि शारीरिक रूप से विकलांग हैं वो माउथ पेंटिंग करती हैं। उनका कहना है कि जीआई टैग मिलने के बाद उनके पेंटिंग को शोहरत, पहचान और उचित मूल्य भी मिलेगा।

कौन देता है जीआई टैग

दरअसल साल 2003 से भारत में जीआई टैग वाणिज्य मंत्रालय विभाग के इंडस्‍ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड द्वारा दिया जाता है। जीआई टैग उन वस्तुओं के उत्पादन के लिए दिया जाता है, जो कि उस जगह (Geographical Area) को विशेष पहचान दिलाने में मदद करती है।

हालांकि इसका मतलब ये नहीं की एक वस्तु के लिए केवल एक ही क्षेत्र या राज्य को जीआई टैग दिया जाए। कई बार एक वस्तु के लिए दो या तीन राज्यों को भी टैग दिया जाता है। जैसे की विशेष गुणवत्ता के चावल उत्पादन के लिए जीआई टैग पंजाब और हरियाणा दोनों को दिया गया है।

इन उत्पादों के लिए दिया जाता है टैग

  • खेती से जुड़े उत्पाद /कृषि उत्पाद (सोजत मेहंदी)
  • हस्तशिल्प ( चुनार ग्लेज़ पॉटरी)
  • खाद्य सामग्री (गोअन खाजे)
  • अन्य उत्पाद (चमड़ा ,फेनी ,इत्र)