बता दें कि मध्यप्रदेश के गोंड पेंटिंग को जीआई टैग (Geographical Indication Tag ) मिला है। इस ख़बर से जनजातियों में खुशी का माहौल है। गोंड कला लोक कला का उदाहरण है। जो कि गोंड जनजाति के कलाकारों द्वारा चित्रित की जाती है। इस पेंटिंग में गोंड कथाओं, गीतों एवं कहानियों का चित्रण किया जाता है।
बता दें कि मध्यप्रदेंश के डिंडोरी जिले का पाटनगढ़ गांव के हर में एक कलाकार है जो कि गोंड पेंटिंग बनाते हैं। उनके इस काम के लिए उन्हें ना केवल प्रदेश के लोगों से बल्कि देश-विदेश के लोगों से भी प्रशंसा मिली है।
बता दें कि खन्नत गांव की रहने वाली आदिवासी महिला नरबदिया अरमो जो कि शारीरिक रूप से विकलांग हैं वो माउथ पेंटिंग करती हैं। उनका कहना है कि जीआई टैग मिलने के बाद उनके पेंटिंग को शोहरत, पहचान और उचित मूल्य भी मिलेगा।
दरअसल साल 2003 से भारत में जीआई टैग वाणिज्य मंत्रालय विभाग के इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड द्वारा दिया जाता है। जीआई टैग उन वस्तुओं के उत्पादन के लिए दिया जाता है, जो कि उस जगह (Geographical Area) को विशेष पहचान दिलाने में मदद करती है।
हालांकि इसका मतलब ये नहीं की एक वस्तु के लिए केवल एक ही क्षेत्र या राज्य को जीआई टैग दिया जाए। कई बार एक वस्तु के लिए दो या तीन राज्यों को भी टैग दिया जाता है। जैसे की विशेष गुणवत्ता के चावल उत्पादन के लिए जीआई टैग पंजाब और हरियाणा दोनों को दिया गया है।