India News (इंडिया न्यूज़), khajrana ganesha mandir, इंदौर: एमपी का खजराना गणेश मंदिर देश भर में लोकप्रिय है। यह मंदिर मध्यप्रदेश के इंदौर में स्थित है। यहां की मंदिर व्यवस्था बहुत उच्च कोटि की है। खजराना का यह गणेश मंदिर अपने चमत्कारों के लिए भी अत्यधिक लोकप्रिय है। मान्यता है कि, जो भी अपनी किसी मनोकामना के साथ मंदिर में आता है। वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता।
आंकड़ों की माने तो प्रत्येक दिन लगभग दस हजार लोग मंदिर में आकर माथा टेकते हैं। आज गणेश चतुर्थी पर हम आपको इस गणेश मंदिर से जुड़े चमत्कारिक रहस्यों और कुछ अन्य तथ्यों के बारे में बताएंगे।
इस मंदिर का निर्माण होल्कर वंश की महारानी अहिल्या बाई होल्कर के द्वारा सन 1735 में करवाया गया था। खजराना गणेश मंदिर में स्थापित मुख्य प्रतिमा भगवान श्री गणेश जी की है, जिसके बारे में यह कहानी और मान्यता है कि मुगल शासक औरंगजेब के काल में जब उसका आतंक अत्यधिक बढ़ गया था, तो गणेश प्रतिमा को उसके विध्वंश से बचाने के लिए जमीन पर छुपा दिया गया था। जब सब शांत हो गया और छुपाने वाले लोग खुद इस बात को भूल गए तो स्वयं गणपति जी ने, उस समय के एक स्थानीय पंडित श्री मंगल भट्ट को स्वप्न में आकर इसकी जानकारी दी थी।
मंगल भट्ट ने उस वक्त शासन कर रहीं महारानी अहिल्या बाई होल्कर को अपने स्वप्न के बारे में बताया। पंडित की बात को गंभीरता से लेते हुए महारानी ने बताई हुई जगह पर खुदाई करवाई तो वहाँ से सचमुच में पाषाण युग की यह गणेश प्रतिमा प्राप्त हुई।
महारानी अहिल्या बहुत बड़ी शिवभक्त थीं। वे गणपति बाप्पा की मूर्ति पाकर अत्यधिक प्रसन्न थीं और उसकी स्थापना राजवाड़ा में करवाना चाहती थीं। इसी प्रयोजन से उन्होंने सैंकड़ों मजदूरों को प्रतिमा को खजराना से राजवाड़ा लाने का आदेश दिया था। परन्तु इतने मजदूर मिलकर भी मूर्ति को हिला नहीं सके। इसके बाद श्री भट्ट ने महारानी से गणेश जी के स्वप्न में दिए हुए आदेश सार प्रतिमा को खजराना में ही स्थापित करवाने का आग्रह किया।
महारानी ने पंडित की बात की तवज्जो देकर गणेश प्रतिमा की स्थापना उस जगह करवा दी, जो आज खजराना के गणेश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और जहां से मूर्ति प्राप्त हुई थी। उस जगह में एक जलकुंड बनवा दिया गया है।
देश विदेश से श्रद्धालु मंदिर में पैसे, सोना, बहुमूल्य हीरे, जवाहरात आदि दान करत हैं, और इसके निर्माण कार्य में सहयोग करते हैं। मंदिर के गर्भगृह के बाहरी गेट और दीवार का निर्माण चांदी से हुआ है और इसमें अलग-अलग त्योहारों की झांकियां प्रस्तुत की गई हैं। भगवान की प्रतिमा की आँख हीरे से बनी हुई है।
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