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Lal Krishna Advani: आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न, जनसंघ, भाजपा और राम मंदिर; बहुत लंबा है उनका सफर, जानें

India News (इंडिया न्यूज़), Lal Krishna Advani: लालकृष्ण आडवाणी, भारतीय राजनीतिक संस्कृति के एक महत्वपूर्ण और अनुभवी नेता हैं। उनका पूरा नाम लालकृष्णचंद्र आडवाणी है, और वे 25 नवम्बर 1927 में कराची (अब पाकिस्तान) में पैदा हुए थे।

राजनीतिक करियर की शुरुआत RSS से की

आडवाणी ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य बनकर की थी, जहां उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता को दिखाया और अपनी सजगता के कारण जल्दी ही आदर्श प्रचारक बन गए। वे राजनीतिक जीवन में एक प्रमुख भारतीय जनता पार्टी के स्थापक और सजीव रूप से संलग्न रहे हैं।

राजनीति में प्रवेश

लालकृष्ण आडवाणी का राजनीति में प्रवेश 1957 में हुआ, जब वे नेहरू सरकार के साथ जुड़े। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया, जैसे कि राज्य मंत्री, केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री, और विदेश मंत्री।

आडवाणी का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र राजनीति है, और उन्होंने भाजपा के साथ अपने लंबे समय के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय और योजनाएं बनाईं। वे अपनी नेतृत्व योग्यता के लिए जाने जाते हैं और उन्हें अपनी योजनाओं और नीतियों के लिए सम्मानित किया जाता है।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुए सम्मानित

लालकृष्ण आडवाणी को अपने योगदान के लिए कई बार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है। उनकी राजनीतिक दक्षता और उनका योगदान भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण रूप से माना जाता है।

भाजपा के सह-संस्थापक हैं आडवाणी

लालकृष्ण आडवाणी का राजनीतिक सफर बहुत लंबा और समृद्धि भरा रहा है। उन्होंने भाजपा के साथ अपना समय बिताने के साथ-साथ अपने परिवार के साथ भी अच्छी तरह से जुड़े रहे हैं। उन्होंने भाजपा के सह-संस्थापक और नेतृत्व में अपना योगदान दिया, जिसने भारतीय राजनीति को बदल दिया।

1990 में बबरी मस्जिद

आडवाणी ने 1990 में बबरी मस्जिद मुद्दे पर रथयात्रा का आयोजन किया था, जिसने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया। इसके पश्चात्, बबरी मस्जिद के विध्वंस के कारण हिन्दू-मुस्लिम विवादों में बढ़ोतरी हो गई और इसने देशभर में चर्चा का केंद्र बना दिया।

आडवाणी ने अपनी प्रबंधन क्षमता और नैतिकता के लिए भी पहचान बनाई है। उन्होंने कई विभाजनकारी मुद्दों पर अपने दौरे के दौरान समझदारी और संवेदनशीलता का परिचय दिया।

लालकृष्ण आडवाणी ने 2013 में अपने नेतृत्व के बाद से सक्रिय रूप से सियासी जीवन से संन्यास लिया, लेकिन उनका समर्पण और उनकी राष्ट्रीय भूमिका को मान्यता बनी रही है। उन्होंने अपने दौरे के दौरान देशभर में लोगों के बीच एक मध्यम बनाने के प्रयासों के लिए जाने जाते हैं।

तीन बार रहे पार्टी अध्यक्ष

लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के एकमात्र ऐसे नेता रहे हैं जो 1980 में भाजपा के गठन के बाद से ही सबसे ज्यादा समय तक पार्टी में अध्यक्ष पद पर बने रहे हैं, पहली बार आडवाणी 1986 से 1990 तक अध्यक्ष रहे, फिर 1993 से 1998 और फिर 2004 से 2005 तक पार्टी अध्यक्ष रहे। सांसद की 3 दशक की लंबी पारी खेलने के बाद आडवाणी पहले गृह मंत्री रहे, बाद में अटल जी की कैबिनट में (1999-2004) उप-प्रधानमंत्री बने।

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