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गीतकार मनोज मुंतशिर की बढ़ी मुश्किलें, भोपाल के नवाब को बताया था आतंकी, मिला लीगल नोटिस!

India News (इंडिया न्यूज़), legal notice to manoj muntashir, भोपाल: 1 जून को मध्यप्रदेश के भोपाल में गौरव दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कवि मनोज मुंतशिर ने बातों-बातों में भोपाल का नाम बदलने की मांग के साथ ही भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खान के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया था। जिसके चलते अब उनकी मुश्किलें बढ़ गई है। क्योंकि, अब इस मामले में  इतिहासकारों की संस्था ”भोपाल हिस्ट्री फोरम” ने उन्हें कानूनी नोटिस भेजा है। इस नोटिस में गीतकार से सवाल किया गया है कि वो उन आरोपों को साबित करें, जो उन्होंने गौरव दिवस के दिन लगाए थे।

क्या कहा है फोरम ने?

फोरम से नोटिस भेजने वाले वकील शाहनवाज खान का कहना है कि ‘अगर मुंतशिर ने 30 दिनों के अंदर अपने दावे और आरोप का समर्थन करने वाले सबूत पेश नहीं किए। तो उन्हें सार्वजनिक रुप से घोषणा करनी होगी कि उन्होंने भोपाल गौरव दिवस समारोह के दौरान नवाबों के खिलाफ जो भी कहा, वो गलत और भ्रामक था।

क्या कहा था गीतकार ने?

बता दें कि 1 जून भोपाल गौरव दिवस पर गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने भोपाल का नाम भोजपाल किए जाने की मांग उठाई थी। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि ये दोस्त मोहम्मद जैसे लुटेरे और नवाब हमीदुल्लाह जैसे आतंकी का नगर नहीं, बल्कि ये राजा भोज का नगर है। मनोज मुंतशिर ने ये भी कहा था कि, एक जून के दिन 1949 में भोपाल में पहली बार तिरंगा फहराया गया था। सभी सोचते होंगे कि देश तो 1947 में आजाद हुआ था। फिर दो साल बाद भोपाल में तिरंगा क्यों फहराया गया?

उन्होंने कहा कि एक ललाची नवाब ने भोपाल की आजादी को अपनी मुट्ठी में कैद कर रखा था। इसलिए भोपालवासियों ने दो साल बाद आजादी की सांस ली थी। उन्होंने कहा कि भोपाल नवाब के कण-कण में पाकिस्तान समाया हुआ था। वे चाहते थे कि भोपाल, पाकिस्तान का हिस्सा बन जाए। भोपाल में भारत का नहीं, बल्कि पाकिस्तान का परचम लहराया जाए। 

भोपाल हिस्ट्री फ़ोरम ने दिया जवाब


मनोज मुंतशिर के इन आरोपों पर भोपाल हिस्ट्री फोरम ने लिखा है कि हकीकत ये है कि, 15 अगस्त 1947 को भोपाल में तिरंगे के साथ प्रभात फैरी निकाली गई थी। ये भी प्रमाणित तथ्य है कि, 15 अगस्त 1947 के पूर्व ही नवाब भोपाल ने 562 रियासतों के साथ विलय और ठहराव समझौते के दस्तावेज पर भी हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद ही भोपाल भारतीय संघ का हिस्सा बन गया था।

Also Read: भोपाल में नाम बदलने की मांग तेज, क्यों भारत की आजादी के बाद भी गुलाम था भोपाल ? जानिए इतिहास

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Himanshi Rajput

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