इंडिया न्यूज़ M.P Education news: शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के नाम पर माध्यमिक शिक्षा मंडल चार साल पहले बेस्ट आफ फाइव का फार्मूला लेकर आया। उद्देश्य था कि 10वीं में छह में से किन्हीं भी पांच विषयों में विद्यार्थी पास होता है तो उसे परीक्षा में पास मानकर अगली कक्षा में भेज दिया जाएगा। इससे ना सिर्फ परीक्षा परिणाम सुधरेगा, बल्कि विद्यार्थियों का शैक्षणिक वर्ष भी खराब होने से बचेगा। मंडल का यह फार्मूला बच्चों के भविष्य के लिहाज से तो सार्थक साबित हो रहा है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में और आने वाले वर्षों में अंग्रेजी, गणित विषयों में पारंगत युवाओं की कमी के लिए कहीं ना कहीं जिम्मेदार भी होगा।
वर्ष 2021-22 के दसवीं के परीक्षा परिणाम पर नजर डाली जाए तो 31 फीसदी विद्यार्थी अंग्रेजी व गणित विषय में फेल होने के बावजूद ग्यारहवीं में पहुंच चुके हैं। यानी ये बच्चे अंग्रेजी व गणित में कमजोर हैं। इसी तरह अन्य किसी विषय में फेल होने के बाद भी उत्तीर्ण हुए हैं, लेकिन इनकी संख्या अंग्रेजी व गणित के मुकाबले कम है। इस फार्मूला से चिंतित शिक्षाविदों का कहना है कि 10वीं में बेस्ट आफ फाइव योजना लागू होने के कारण विद्यार्थी कठिन विषयों को पढ़ना ही छोड़ रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि एक-दो विषय नहीं पढ़ेंगे तब भी पास तो ही जाएंगे।
लेकिन माशिमं आपत्तियों के बावजूद रिजल्ट सुधारने वाली योजना को जारी रखे हुए है। वहीं शिक्षा विभाग विद्यार्थियों की बैसाखी छीनने के बजाय कमजोर परिणामों के नाम पर इन विषयों में शिक्षकों को प्रशिक्षण देने की योजना बना रहा है। बता दें, कि 10वीं में कुल 10 लाख 29 हजार 698 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इसमें से कुल तीन लाख 55 हजार 371 परीक्षार्थी फेल हुए हैं, अब रुक जाना नहीं परीक्षा में शामिल होंगे।
एमपी बोर्ड के इस वर्ष के 10 वीं के परीक्षा के परिणामों में चौंकाने वाले आंकड़ें सामने आए हैं। परिणामों का विषयवार अध्ययन करने पर सामने आया है कि 10वीं कक्षा के विद्यार्थी अंग्रेजी व गणित में सबसे ज्यादा पीछे हैं। अंग्रेजी में तीन लाख 32 हजार तो गणित में तीन लाख 20 हजार विद्यार्थी पास होने लायक अंक ही नहीं ला पाए हैं। इसके बाद विज्ञान व सामाजिक विज्ञान विषय में ऐसे विद्यार्थियों की संख्या अधिक है।
माशिमं ने 10वीं परीक्षा परिणाम का प्रतिशत बढ़ाने के लिए 2018 में बेस्ट आफ फाइव योजना लागू की थी। इसके तहत छह विषयों में से जिन पांच विषयों में अधिक अंक आएंगे, उनकी गणना कर रिजल्ट तैयार होगा। अगर विद्यार्थी पांच विषय में उत्तीर्ण हैं और एक में अनुत्तीर्ण, तो उनका रिजल्ट उत्तीर्ण का बनेगा।
डीपीआइ ने दो साल पहले माशिमं को पत्र लिखकर बेस्ट आफ फाइव योजना को खत्म करने की मांग की थी, लेकिन माशिमं इस संबंध में कोई निर्णय नहीं ले पाया। हालांकि माशिमं ने शासन को भी प्रस्ताव भेजा था।
कुल विद्यार्थी- 10,29,698
अनुत्तीर्ण विद्यार्थी- 3,55,371
विषय — कुल विद्यार्थी — उत्तीर्ण — अनुत्तीर्ण
अंग्रेजी — 9,17,167 — 5,84,572 — 3,32,595 –
गणित — 9,19559 — 5,98,860 — 3,20699
विज्ञान — 9,18,531 — 6,53,060 — 2,65,471
सामाजिक विज्ञान — 9,19,407 — 6,67,726 — 2,51,681
हिंदी — 9,17,409 — 7,38,455 — 1,78,954
संस्कृत — 8,38,149 — 7,41,471 — 96,678-
मराठी — 1265 — 1169 — 96
गुजराती — 22 — 22 — 0
पंजाबी — 90 — 90 — 0
इस साल 10 वीं के परीक्षा परिणामों में गणित और अंग्रेजी विषय में विद्यार्थियों का प्रदर्शन बिगड़ा है। इन विषयों के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। बेस्ट आफ फाइव योजना भी इसका एक कारण हो सकती है, इसकी समीक्षा कर रहे हैं।
– अभय वर्मा, आयुक्त, डीपीआइ
अधिकतर विद्यार्थी बेस्ट आफ फाइव के कारण कठिन लगने वाले विषय गणित, अंग्रेजी और विज्ञान को पढ़ना छोड़ रहे हैं। इस कारण इन मुख्य विषयों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है।
– सुनीता सक्सेना, शिक्षाविद
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