India News(इंडिया न्यूज़), Milky Way Galaxy: आपने आसमान में टूटते तारे के बारे में जरूर देखा, सुना और पढ़ा होगा। अगर सैकड़ों तारे एक साथ गिरने लगें तो क्या होगा? ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला दावा वैज्ञानिकों ने किया है। उत्तराखंड के नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान (ARIES) के वैज्ञानिक डॉ। वीरेंद्र यादव ने दावा किया है कि इस महीने की 13 से 14 तारीख के बीच तारों की भारी बारिश होने वाली है। हर घंटे 100 से 150 तारे आसमान में गिरेंगे।
नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिक डॉ। वीरेंद्र यादव के मुताबिक, इस खगोलीय घटना का नाम ‘जेमिनिड उल्कापात’ है। डॉ। यादव का कहना है कि यह प्रक्रिया नवंबर से शुरू हो गई है और 24 दिसंबर तक चलेगी। इस खगोलीय घटना को ‘टूटते तारे’ के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि, इस घटना का वास्तविक तारों से कोई सीधा संबंध नहीं है। यह आसमान में गुजर रहे उल्का पिंडों का जलता हुआ मलबा मात्र है। धरती से देखने पर यह टूटते तारे जैसा लगता है।
वैज्ञानिकों ने कहा है कि जब धूमकेतु का मलबा पृथ्वी के रास्ते पर आता है तो वह पृथ्वी के वायुमंडल के संपर्क में आता है और जलने लगता है। इससे आसमान में आतिशबाजी जैसा नजारा दिखाई देता है। यह खगोलीय घटना पृथ्वी से मात्र 100 से 120 किमी की ऊंचाई पर घटित होती है। टूटते तारों का यह अद्भुत नजारा सिर्फ एक पल के लिए दिखाई देता है और पलक झपकते ही गायब हो जाता है।
मेष राशि के वैज्ञानिक डॉ। यादव के अनुसार, उल्कापात का नाम आमतौर पर उस राशि या तारामंडल के नाम पर रखा जाता है, जहां से यह आता है। इसी आधार पर जेमिनीड उल्कापात का नाम जेमिनी तारामंडल के नाम पर रखा गया है। इसी आधार पर इसका नाम रखा गया है।
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