India News MP (इंडिया न्यूज़), MP High Court: भारतीय न्याय प्रणाली की दक्षता और सुरक्षा में सुधार के लिए अंतर-संचालनीय आपराधिक न्याय प्रणाली (ICJS) को SANDES ऐप के साथ मिलाकर उपयोग करने के मामले में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
हाल ही में, जस्टिस आनंद पाठक की एकल पीठ ने उप सॉलिसिटर जनरल को गृह मंत्रालय, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सामाजिक न्याय मंत्रालय के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया। इसका उद्देश्य इस परियोजना को देश भर में प्रभावी ढंग से लागू करना है।
एनआईसी (नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर) की टीम ने न्यायालय के समक्ष आईसीजेएस को SANDES ऐप के साथ एकीकृत करने के छह महत्वपूर्ण चरणों का प्रदर्शन किया। इस प्रक्रिया में पुलिस, जेल, फोरेंसिक और अभियोजन जैसे विभिन्न कार्यक्षेत्रों में डेटा का समन्वय और सिंक्रनाइज़ेशन शामिल है। सात साल या उससे अधिक की सजा वाले मामलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल सत्यापित हितधारक ही SANDES ऐप के माध्यम से संवाद कर सकें, जिससे सुरक्षा और गोपनीयता बनी रहे।
– विभिन्न कार्यक्षेत्रों के बीच डेटा का निर्बाध ट्रांसफर और उपयोग।
– सत्यापित हितधारकों के बीच सुरक्षित संचार।
– पीड़ितों को एकतरफा संचार के माध्यम से बिना सीधे संपर्क के अपडेट प्राप्त करने की सुविधा।
– पीड़ितों के लिए एक ओटीपी-आधारित वेब लिंक के माध्यम से सीधे कानून प्रवर्तन से संपर्क की व्यवस्था।
– प्रत्येक कैदी के लिए एक विशिष्ट आईडी का निर्माण, जिससे डेटा संग्रहण और साझाकरण की सुविधा मिलेगी।
– जांच अधिकारियों की प्रदर्शन प्रोफाइल का निर्माण और समीक्षा।
न्यायालय ने इन सुधारों को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों के सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। इस परियोजना की प्रभावशीलता को लेकर कुछ चिंताएं भी व्यक्त की, जैसे कि सात साल से अधिक के दंडनीय अपराधों के लिए अपराध स्थल की वीडियोग्राफी और एआई के संभावित उपयोग की आवश्यकता।
न्यायालय ने इस पहल के लिए एनआईसी टीम की सराहना की और डिप्टी सॉलिसिटर जनरल को संबंधित मंत्रालयों के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया। आगामी मामले की सुनवाई 16 अक्टूबर 2024 को होगी, जिसमें एनआईसी टीम को एक अवधारणा नोट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।