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MP NEWS: बांधवगढ़ में एक और बाघ की मौत, इस साल में अब तक छह मौतें

• LAST UPDATED : November 7, 2022

वरिष्ठ अधिकारियों ने श्वान एवं गश्ती दल के सांथ आसपास के क्षेत्र का सघन निरीक्षण किया। बाघ के समस्त अंग सुरक्षित पाए गए। मृत बाघ की आयु 13 से 14 वर्ष थी। इससे उसकी मृत्यु का कारण वृद्धावस्था बताया जा रहा है। शव का पीएम चिकित्सा दल द्वारा क्षेत्र संचालक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व एवं बाघ संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली के प्रतिनिधि के समक्ष किया गया। फॉरेन्सिक जांच हेतु विसरा एकत्रित करने के बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया।

इस घटना के बाद नेशनल पार्क के अधिकारियों की कार्यप्रक्रिया एक बार फिर संदेह के घेरे में है। उसका कारण मामले को लेकर उनका रवैया है। धमोखर रेंज में बाघ की मौत के कई घंटे तक इस पर सेंसर लगाकर रखा गया। किसी को भी जानकारी देना तो दूर, शव का फोटो तक जारी नहीं किया गया। दोपहर बाद एक रटी-रटाई स्क्रिप्ट के आधार पर शवदाह के फोटो सहित विज्ञप्ति जारी की गई।

इस वर्ष अब तक बांधवगढ़ नेशनल पार्क मे छह बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें कम से कम चार की उम्र पांच महीने से पांच साल के बीच थी। इसकी शुरुआत आठ जनवरी 2022 को हुई, जब टाइगर रिजर्व के मानपुर रेंज की बिजौरी हर्रई के निकट मझौली बीट मे एक साल से कम उम्र के शावक का बुरी तरह से नोंचा हुआ शव पाया गया।

27 अप्रैल को धमोखर के ददरौड़ी बीट में पांच साल की बाघिन मृत अवस्था में मिली। दो जून को कल्लवाह रेंज के मझखेता बीट मे चार महीने के शावक का शव मिला। चार जुलाई 2022 को पाली रेंज के जमुहाई से सटे साल्हे ढोंडा के जंगल में रिजर्व फॉरेस्ट मे तीन दिन पुराना पांच से सात साल के नर बाघ का शव मिला। 19 सितम्बर 2022 को ताला मे स्पॉटी टी 41 की 11 साल की आयु में वृद्धावस्था के कारण मौत हो गई।

वर्षों की मेहनत से संजोए गए बांधवगढ़ की दुर्दशा का श्रेय महकमे में भ्रष्टाचार और अधिकारियों की आरामतलबी को जाता है। जानकारों का दावा है कि पार्क के वरिष्ठ अधिकारी अधिकांश समय उमरिया या ताला में अपने पांच सितारा सुविधा से लैस बंगलों में बिताते हैं। कार्यालयों में इनके दर्शन होना किस्मत की बात है।

वरिष्ठों द्वारा फील्ड की उपेक्षा और लापरवाही की देखा-सीखी उनके कनिष्ठ अधिकारी भी कर रहे हैं। परिक्षेत्राधिकारियों का काम तो केवल बिल बनाना और बैकों से राशि निकालकर उसे सही स्थान पर पहुंचाना रह गया है। यदि समय रहते इनसे निजात नहीं मिली तो पार्क का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।