India News(इंडिया न्यूज़), Mp News: मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से ढाई साल से एक बाघिन लपटा थी। अभी हाल ही में खबर आई है कि बाघिन वापस अपने घर को लौट आई है। इस बात की जानकारी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दी है।
मामला मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का है। दरअसल, ढाई साल से लापता एक बाघिन अचानक अपने घर को वापस आ गई। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के प्रबंधकों के अनुसार लापता बाघिन टी-42 अचानक से 6 दिन पहले मिल गई। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रबंधन के मुताबिक 4 दिसंबर को कश्ती टीम को बाघिन नजर आई। टीम के कैंप के पास आकर बाघिन के गुर्राने की आवाज सुनकर कश्ती के लोगों ने उसकी तलाश शुरू की और बाघिन को देखते ही टीम के सदस्यों ने उसे पहचान लिया। उसके बाद टीम ने फौरन फील्ड डायरेक्टर को कॉल कर बाघिन के मिल जाने की जानकारी दी। इस लापता बाघिन के अचानक मिल जाने के बाद एसटीआर और वाइल्ड लाइफ के लोगों में एक अलग ही खुशी की लहर मौजूद है।
आपको बता दे की बाघिन टी-42 को साल 2020 में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व लाया गया था। इस बाघिन टी-42 ने कुछ दिनों में ही सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में अपनी जगह बना ली थी और आने वाले पर्यटकों के साथ भी वह काफी सहज थी। अक्सर ही सतपुड़ा टाइगर रिजर्व आने वाले पर्यटकों को बाघिन नजर आती थी। लेकिन साल 2021 की गर्मियों में वह अचानक से ही गायब हो गई। उसके गायब होने पर पूरे रिजर्व में उसकी खोज जारी रही। लेकिन वह कहीं ना मिली। यहां तक की रिजर्व मौजूद कैमरा पर भी उसका कोई निशान नहीं था।
बीते 4 दिसंबर को स्तर की टीम जब पैदल घूम रही थी तब उन्हें जाने से देने की बनाने की आवाज आई उसे बगिया की आवाज सुनते ही पूरी टीम उसे आसपास तलाश में लगी और इस वक्त उन्होंने बाघिन टी-42 देखी टीम ने उसके फोटो वीडियो शूट की है। बता दे कि बाघिन अपने पुराने क्षेत्र से लगभग 30 किलोमीटर दूर थी। उसके साथ में एक बाघ भी मौजूद था।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से 2 साल पहले भी एक बाघिन बुरहानपुर होते हुए 320 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के अमरावती मेलघाट टाइगर रिजर्व पहुंच गई थी। एसटीआर प्रबंधक के अनुसार अब बाघिन ने मेलघाट टाइगर रिजर्व को अपना ठिकाना बना लिया है। नर्मदापुरम के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में इस बाघिन को जून 2021 में बांधवगढ़ से लाया गया था। जो घूमते वक्त 320 किलोमीटर दूर मेलघाट पहुंच गई। बाघिन हर रोज करीब 20 से 25 किलोमीटर चलती है इसलिए ढाई महीने में बाघिन महाराष्ट्र के मेलघाट टाइगर रिजर्व पहुंच गई थी। इस दौरान कॉलर आईडी से लोगों की लोकेशन ट्रैक की जा रही थी।
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